
उन्नाव. लखनऊ के शो रूम की शोभा बढ़ाने वाले कपड़े की कारीगरी जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के द्वारा की जाती है। यह कढ़ाई कई प्रकार की होती है। जिसमें टाका, ऊपरी बखिया, धनिया पत्ती जैसी कढाई होती है। यह कढ़ाई साड़ी, कुर्ती, कोटी, रूपट्टा, सलवार आदि में होती है। यदि इसे सना के परिवार का घरेलू काम कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। परंतु दिन भर मेहनत करने के बाद चंद रूपये ही मिलते है। इस सम्बंध में बातचीत के दौरान सना पुत्री जान मोहम्मद ने बताया कि एक कुर्ती के उसे मात्र रूपये 170 मिलते है। जबकि एक कुर्ती लगभग 10 दिनों में तैयार होता है। सना के उसकी मां और उसकी बहने भी यही काम करती है।
गंजमुराबाद है कढ़ाई का प्रमुख स्थान
कढ़ाई का कार्य जनपद हरदोई सीमा पर स्थित गंज मुरादाबाद में बड़े पैमाने पर कार्य होता है। जहां लखनऊ से कढ़ाई के कपड़ा आता है। एक तरह से कहा जाये तो गंजमुरादाबाद में कपड़े पर कढ़ाई का गढ़ है। जहां पर घर घर में कपड़े के कढ़ाई का कार्य होता है। इस सम्बंध में बातचीत करने पर काशीराम कॉलोनी निवासी जानमोहम्मद ने बताया कि उसकी पत्नी शहनाज जो कि मूलतः गंज मुरादाबाद की रहने वाली थी से कढ़ाई का काम उनकी बेटियां ने सीखा है। आज उनकी बेटियां भी कढ़ाई का कार्य करती है।
मामूली मेहनताने में होता है काम, बिचौलिया उठाते है लाभ
इस सम्बंध में बातचीत के दौरान शहनाज ने बताया वह और उनकी बेटियां सभी प्रकार की कढ़ाई कर लेती है। जिसमें धनिया पत्ती, घास पत्ती के जो भी डिजायन दी जाती है। उसकी कढ़ाई की जाती है। बातचीत के दौरान सना ने बताया कि वह विगत दो वर्षो से कढ़ाई का कार्य कर रही है। लेकिन मेहनत और समय के हिसाब से मेहनताना नहीं मिलता है। उन्होने बताया कि एक कुर्ती की कढ़ाई पूरा करने पर उन्हे 170 रूपये मिलते है। जो कि लगभग 10 से 15 दिन में पूरा होता है। बातचीत के दौरान जानकारी मिली कि यह काम मीडियेटर के माध्यम से आता है। इसलिये स्वाभाविक है कि बीच में दलाल कुछ न कुछ तो लेता ही होगा। बहरहाल काशीराम कॉलोनी में हो रही कपड़ों में कढ़ाई घर में बैठकर काम करने और दो पैसे कमाने का अच्छा साधन है। इनके चेहरे की चमक बताती है कि इन्हे अपने काम से कितना प्यार है।
Published on:
04 Dec 2017 12:45 pm
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