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Dev Uthani Ekadashi: 12 नवंबर को जागेंगे श्रीहरि विष्णु: देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य

Dev Uthani Ekadashi : As Lord Vishnu awakens from his cosmic sleep, wedding and auspicious ceremonies begin; Tulsi Vivah and special rituals mark Dev Uthani Ekadashi. भगवान विष्णु के जागरण से विवाह और अन्य शुभ कार्यों का शुभारंभ, तुलसी विवाह और विशेष पूजा से घर-घर में आएगी शुभता और समृद्धि।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 09, 2024

Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi

Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे, जिससे सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 नवंबर 2024 को पड़ने वाली इस पवित्र तिथि को देवोत्थानी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस के रूप में भी जाना जाता है। चार महीने के चातुर्मास के समापन के साथ, भगवान विष्णु के जागते ही समस्त शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि के आयोजन आरंभ होंगे। इस अवसर को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया गया है, क्योंकि यह समय शुभता, वैवाहिक जीवन और समृद्धि के आगमन का प्रतीक माना जाता है।

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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष देवउठनी एकादशी की तिथि 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से आरंभ होगी और 12 नवंबर की शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। भगवान विष्णु इस दिन क्षीर सागर से जागेंगे और उनकी पूजा-अर्चना से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का भी आयोजन होता है, जिसमें तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर माना जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

तुलसी विवाह और विशेष पूजा विधि

इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि करके व्रती स्त्रियाँ अपने आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की कलात्मक रचना करती हैं। तुलसी का विवाह शालिग्राम (भगवान विष्णु का स्वरूप) से संपन्न होता है, और इस अवसर पर व्रतधारी महिलाएँ विशेष पूजा और व्रत का पालन करती हैं। तुलसी विवाह को विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में शुभता और सौभाग्य लाने वाला माना गया है। तुलसी विवाह उत्सव का आयोजन देवउठनी एकादशी से लेकर अगले दिन तक चलता है, और अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत पारण किया जाता है।

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दान-पुण्य का महत्व

देवउठनी एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से घर में शुभता और समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। भक्तों का मानना है कि देवउठनी एकादशी के पुण्य से व्यक्ति को हर प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

विवाह मुहूर्त

इस वर्ष देवउठनी एकादशी के बाद विवाह के लिए शुभ मुहूर्त 17 नवंबर से प्रारंभ हो रहे हैं। विवाह मुहूर्त के तिथियों में नवंबर में 17, 18, 22, 23, 24, और 25 तारीखें शामिल हैं। इसी तरह, दिसंबर में 2, 3, 4, 5, 9, 10, 11, 13, 14 और 15 तारीखें विवाह के लिए शुभ मानी गई हैं। देवउठनी एकादशी के बाद विवाह कार्य 15 दिसंबर तक जारी रहेंगे, जिससे सभी लोगों के घरों में मांगलिक और खुशी के माहौल का संचार होगा।

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धार्मिक महत्त्व और परंपराएँ

 देवउठनी एकादशी के अवसर पर हिंदू धर्म में विशेष पूजा-विधियों और धार्मिक आयोजनों का विशेष स्थान है। यह पर्व भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति को समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन भगवान विष्णु, माँ लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा का दिन है, और तुलसी विवाह में भगवान के प्रति भक्ति को दर्शाया जाता है। इस पर्व के माध्यम से भक्त चार महीनों की प्रतीक्षा के बाद भगवान विष्णु को जगाते हैं और समस्त शुभ कार्यों के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।