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LDA: लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन संयुक्त सचिव आर एन सिंह और तीन अन्य को जानकीपुरम प्लॉट आवंटन घोटाले में दोषी पाया गया। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में कड़ी सजा सुनाई है। यह मामला 1987 से 1999 के बीच 123 प्लॉटों के अवैध आवंटन से जुड़ा है, जिसके चलते सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ था।
सीबीआई कोर्ट ने एलडीए के तत्कालीन संयुक्त सचिव आर एन सिंह को 3 साल की कैद की सजा सुनाई है और उन पर 35 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है।
राज नारायण द्विवेदी: तत्कालीन क्लर्क राज नारायण द्विवेदी को 4 साल की कैद की सजा सुनाई गई और 60 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया गया।
महेंद्र सिंह सेंगर: महेंद्र सिंह सेंगर को 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई और उन पर 15 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया गया।
दिवाकर सिंह: दिवाकर सिंह को भी 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई और उन पर 15 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया गया।
सीबीआई ने यह मामला 28 फरवरी 2006 को हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज किया था। जांच के दौरान यह पाया गया कि 1987 से 1999 के बीच जानकीपुरम में 123 प्लॉटों का अवैध आवंटन किया गया था। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियमों की अवहेलना की और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया।
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सीबीआई कोर्ट का यह निर्णय उन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक सख्त संदेश है जो अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करते हैं। जानकीपुरम प्लॉट आवंटन घोटाले में दोषियों को सजा मिलने से न्यायपालिका की निष्पक्षता और कानून के प्रति आस्था बढ़ी है।
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Published on:
23 Jul 2024 08:24 pm
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