
Lucknow Dev uthani Ekadashi
Devuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, इस वर्ष 11 नवंबर की शाम से 12 नवंबर की शाम तक मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः आरंभ करते हैं। सीतापुर रोड के हाथी बाबा मंदिर के ज्योतिषाचार्य आनंद दुबे के अनुसार एकादशी की तिथि 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से प्रारंभ होकर 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे समाप्त होगी।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा का महत्व है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधिपूर्वक किया जाता है। यह विवाह का प्रतीक है, जो मांगलिक कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक भी माना जाता है। भक्तों द्वारा व्रत रखकर भगवान विष्णु का जागरण किया जाता है, और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
हनुमान सेतु के वेदाचार्य गोविंद शर्मा ने बताया कि इस देवउठनी एकादशी को मध्याह्न 12:26 बजे तक भद्रा रहेगी। इसके बाद गन्ने का पूजन कर उसका सेवन किया जाएगा। गन्ने का पूजन धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, और इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से जीवन में मिठास आती है।
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार, देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह आदि मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाते हैं। इस वर्ष 17 नवंबर से 15 दिसंबर तक विवाह के शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें कई जोड़ियां परिणय सूत्र में बंधेंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन का पूजन और दान-पुण्य करने से परिवार में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन और दान-पुण्य करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। इस पावन दिन पर व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। विशेषकर तुलसी पूजन और तुलसी विवाह का आयोजन करने से वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य बढ़ता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का जागरण कर उनकी पूजा करने से पूरे साल के पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
Published on:
12 Nov 2024 08:13 am
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