
लोक संस्कृति का महापर्व: सोन चिरैया के देशज का भव्य आगाज
Sonchiraiya Festival: गोमती नगर स्थित लोहिया पार्क आज से देशज 2024 का रंगमंच बनेगा। सोनचिरैया की 14वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह महोत्सव, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक की लोक संस्कृति को एक साथ सहेजते हुए प्रस्तुत करेगा। इस दो दिवसीय आयोजन का उद्घाटन आज शाम उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह करेंगे। पद्मश्री मालिनी अवस्थी और सोनचिरैया की अध्यक्षा डॉ. विद्या बिंदु सिंह द्वारा इस आयोजन की घोषणा करते हुए बताया गया कि इस साल का देशज पर्व अधिक भव्य, सांस्कृतिक और रंगीन होगा।
22 नवंबर को कार्यक्रम के पहले दिन पंजाबी लोकगायक मास्टर सलीम सूफी और फिल्मी गीतों की प्रस्तुति देंगे।
23 नवंबर को मराठी गायक नंदेश उमप के सुरों से समापन होगा।
असम के भाओना नृत्य: भगवान नरसिंह और प्रह्लाद की कथा।
केरल का गरुड़न परवा नृत्य: पक्षीराज गरुड़ की कहानी, कथकली का प्रारंभ।
उत्तर प्रदेश की नौटंकी: पद्मश्री रामदयाल शर्मा द्वारा रचित "डाकू सुल्ताना"।
हरियाणा का फाग नृत्य: कृषक समाज की प्रस्तुति।
पाई डंडा: बच्चों द्वारा विशेष पारंपरिक नृत्य।
देशज: पारंपरिक कला और आधुनिकता का संगम
इस महोत्सव का उद्देश्य देश की लोक कलाओं और पारंपरिक नृत्यों को न केवल संरक्षित करना है, बल्कि उन्हें युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाना भी है। कार्यक्रम स्थल दुल्हन की तरह सजा हुआ है, और कलाकारों ने मंच पर गुरुवार को अपने अंतिम पूर्वाभ्यास पूरे कर लिए।
भारत की समृद्ध लोक परंपरा का उत्सव।
हर राज्य की विशिष्ट कला का प्रदर्शन।
बच्चों और युवा कलाकारों को मंच प्रदान करना।
ग्रामीण और शहरी संस्कृतियों के बीच पुल बनाना।
मास्टर सलीम और नंदेश उमप के सुरों का जादू
पंजाबी लोक गायक, सूफी और फिल्मी गानों में प्रसिद्ध।
उनकी प्रस्तुतियां श्रोताओं को एक आध्यात्मिक और संगीतमय अनुभव देंगी।
मराठी लोक गायक, पारंपरिक मराठी संगीत और आधुनिक सुरों का संगम।
उनके गानों में महाराष्ट्र की लोक परंपरा की झलक।
देशज के रंगमंच पर विविधता का उत्सव
असम का भाओना नृत्य: जिसमें देवताओं की कथाएं नाटकीय शैली में पेश की जाएंगी।
केरल का गरुड़न परवा नृत्य: पक्षीराज गरुड़ की कथा, जिसे कथकली नृत्य का पूर्वज कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश की नौटंकी: डाकू सुल्ताना जैसे लोकप्रिय लोक कथाओं का प्रदर्शन।
यह नृत्य और नाटक, न केवल मनोरंजन करेंगे, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेंगे।
देशज 2024 केवल एक लोक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यह महोत्सव हर उस व्यक्ति के लिए है, जो भारत की विविधता और लोक कलाओं का अनुभव करना चाहता है। दो दिन तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में हर दर्शक को संस्कृति, संगीत और कला का अनूठा अनुभव मिलेगा।
Updated on:
21 Nov 2024 11:04 pm
Published on:
21 Nov 2024 11:02 pm
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