अनशन स्थल पर किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती उनके चित्र पर माल्यार्पण करके मनाई गई। उन्हें याद करते हुए अनशन कारियों ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को जमीनी और अपनी धुन के पक्के नेताओं में शुमार किया जाता रहा है। यहां तक कि उन्होंने अपनी केंद्र की गठबंधन सरकार को भी एक जिद के चलते ही कुर्बान कर दिया था और पीएम पद से तिलांजलि दे दी थी। उन्होंने 21 अगस्त, 1979 को अपनी 23 दिनों की सरकार का इस्तीफा राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को सौंप दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि भले ही उनकी सरकार चली जाए, लेकिन वह इंदिरा गांधी की कांग्रेस से समर्थन नहीं लेंगे।
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शहीद जवान नंद लाल यादव की पार्थिव शरीर पहुंचा पैतृक गांव, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब इस्तीफा सौंपते हुए उन्होंने कहा था कि वह इंदिरा गांधी से अपनी सरकार के लिए समर्थन नहीं चाहते क्योंकि उन्होंने यह शर्त रख दी है कि आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों से जुड़े जो केस उनके खिलाफ दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। मुझे यह शर्त मंजूर नहीं है और मैं पद से इस्तीफा दे रहा हूं। चौधरी चरण सिंह ने कहा था, ‘यदि हम सत्ता में बने रहने के लिए ऐसा करते हैं तो फिर देश हमें माफ नहीं करेगा। भले ही हम खुद को कर दें।
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25 दिसंबर को प्रयागराज आएंगे रेलमंत्री, छह घंटे में आठ उपहार देंगे रेलमंत्री इसी प्रकार हम सभी अनशन कारी संकल्प लेते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन के आगे ना तो झुकेंगे और न ही घुटने टेकेंगे, चौधरी चरण सिंह के रास्ते पर चलकर हम सभी अपना संवैधानिक अधिकार छात्र संघ को लेकर रहेंगे।