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गजब है इन बाहुबलियों की कहानी, किसी ने शुरू की नयी सियासी पारी तो किसी को नहीं मिला बड़े दल का टिकट

locationवाराणसीPublished: Apr 22, 2019 12:54:00 pm

Submitted by:

Devesh Singh

लोकसभा चुनाव 2019 में बाहुबली रमाकांत और राजकिशोर सिंह लड़ रहे चुनाव, जानिए क्या है कहानी

Bahubali Leader

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वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 बेहद दिलचस्प हो चुका है। देश की जनता किस जनप्रतिनिधि को चुनती है यह तो 23 मई को ही तय हो पायेगा। चुनाव परिणाम जो भी हो, लेकिन कई चीजों के लिए यह चुनाव वर्षों तक याद रखा जायेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह को चुनावी पटखनी देने के लिए पहली बार अखिलेश यादव व मायावती ने यूपी में गठबंधन किया है। परिस्थितियों को समझते हुए कुछ बाहुबलियों ने पाला बदल कर नया सियासी समीकरण बनाया है जबकि कुछ बाहुबली ऐसे भी हैं जिन्हें बड़े दल का सहारा तक नहीं मिला।
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राजनीति में पहले किसी भी दल को सत्ता तक पहुंचाने की क्षमता रखने वाले बाहुबली नेता को हाथों-हाथ लिया जाता है। लेकिन अब बदलाव की बयार बह रही है। राजनीति दलों को लगता है कि किसी सीट पर बाहुबली के सहारे नैया पार हो जायेगी। तभी वह बाहुबलियों को प्रत्याशी बना रहे हैं यदि राजनीतिक दलों को लगता है कि बाहुबली के चलते फायदा कम और नुकसान हो सकता है तो वह बाहुबली से दूरी बनाने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। ऐसे में इस बार तीन बाहुबली ऐसे हैं जो किसी दल से चुनाव लड़ते हुए नहीं दिखेंगे।
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जौनपुरी के बाहुबली धनंजय सिंह को नहीं मिला बड़े दल से टिकट
जौनपुर की राजनीति में धनंजय सिंह किसी परिचय का मोहताज नहीं है। बसपा के टिकट से संसद पहुंच चुके धनंजय सिंह को इस बार किसी दल ने टिकट नहीं दिया है। जौनपुर संसदीय सीट की बात की जाये तो सपा-बसपा गठबंधन से श्याम लाल यादव को टिकट मिला है जबकि बीजेपी ने वर्तमान सांसद केपी सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने ब्रह्मदेव मिश्रा को टिकट दिया है। ऐसे में धनंजय सिंह के हाथ खाली रह गये हैं अब वह निर्दल चुनाव लड़ते हैं या फिर चुनावी से दूरी बनाते हैं इस पर सभी की निगाहे लगी है।
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बाहुबली अतीक अहमद
फूलपुर की राजनीति में एक समय अतीक अहमद की ताकत दिखती थी। कभी मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले अतीक अहमद सपा के ही टिकट से संसद पहुंचे थे। बसपा सुप्रीमो मायावती के निशाने पर रहे अतीक अहमद का सपा से अखिलेश यादव से विवाद होने पर नाता टूटा था। फूलपुर संसदीय सीट पर वर्ष 2018 में हुए उपचुनाव में अतीक अहमद ने निर्दल चुनाव लड़ा था लेकिन जीत नहीं पाये थे। इस बार भी चुनाव लडऩे को बेकरार व जेल में बंद अतीक अहमद को किसी दल से टिकट नहीं मिला है। सपा-बसपा गठबंधन से यहां पर पंधारी यादव को टिकट मिला है। बीजेपी ने यहां से केसरी देवी पटेल को टिकट दिया है इसी तरह कांग्रेस ने पंकज निरंजन को प्रत्याशी बनाया है। अतीक अहमद का नाम किसी लिस्ट में नहीं है। लोकसभा चुनाव देखते हुए प्रदेश सरकार अतीक अहमद पर मेहरबान दिख रही है और बाहुबली नेता को बरेली से नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया है। माना जा रहा है कि अतीक अहमद यहां से निर्दल ही चुनाव लड़ सकते हैं।
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बाहुबली विनीत सिंह को शुरू से ही लग रहा झटका
बाहुबली विनीत सिंह को चुनाव अधिसूचना जारी होने से पहले ही झटका लग गया था। बसपा व सपा में गठबंधन होने के बाद चंदौली सीट सपा के खाते में चली गयी थी। उसी समय चंदौली लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे का सपना टूट गया था। बसपा से एमएलसी रहे विनीत सिंह का अखिलेश यादव पर विवादित पोस्टर चर्चा का विषय था इसलिए सपा ने उन्हें टिकट मिलना संभव नहीं है। चंदौली लोकसभा सीट पर बीजेपी ने वर्तमान संासद डा.महेन्द्रनाथ पांडेय को टिकट दिया है। इसी तरह राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस ने बसपा के पूर्व मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। गठबंधन के तहत सपा के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह को टिकट मिलने की चर्चा सबसे अधिक है ऐसे में बाहुबली विनित सिंह के लिए यह चुनाव खराब सपने जैसा साबित हो सकता है।
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रमाकांत यादव व राजकिशोर सिंह ने शुरू की नयी सियासी पारी
आजमगढ़ से बीजेपी के पूर्व सांसद व सपा के बाहुबली नेता राजकिशोर सिंह ने इस बार अपनी नयी सियासी पारी शुरू की है। बीजेपी से टिकट कटने के बाद बाहुबली रमाकांत यादव ने कांग्रेस का दामन थामा है और कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर भदोही सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह राजकिशोर सिंह भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं उन्हें कांग्रेस ने बस्ती सीट से प्रत्याशी बनाया है। देश में दो चरण के चुनाव हो चुके हैं और तीसरे चरण का चुनाव 24 घंटे बाद होगा। 23 मई को पता चलेगा कि इस बार किस दल से कितने बाहुबली चुनाव जीत कर संसद में पहुंचते हैं।
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