ड्रिब्लिंग का मास्टर और भारतीय हॉकी के इतिहास का सबसे ताकतवर सेंटर फारवर्ड अब हमे छोड़कर जा चुका है।देश का गौरव बढ़ाने वाला हॉकी का यह खिलाड़ी हमेशा कहा करता था मेरा मंदिर तो मैदान है। अर्दली बाजार के छोरों के बीच शाहिद भाई के नाम से पुकारे जाने वाले मोहम्मद शाहिद की हथेलियो को वहां के युवाओं के कंधे हमेशा याद रखेंगे,चाहे चाय पान की दूकान हो या गली के किसी कोने में लगी अड़ी, शाहिद के होने भर से गुलजार हो जाया करती थी।शाहिद के पुराने मित्रों ने से एक पप्पू यादव कहते हैं "अब हमे कोई नहीं कहेगा का बे पप्पुआ बिहववा न करबे का ?