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शिक्षा माफिया के मकड़जाल में फंसा UP BOARD, मानक दरकिनार कर बने ऑानलाइन परीक्षा केंद्र

locationवाराणसीPublished: Nov 17, 2017 10:01:12 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

ऑानलाइन परीक्षा केंद्र निर्धारण में तमाम खामियां, 50 लड़कों के बैठने की जगही नहीं आवंटित कर दिए 1200 छात्र।

यूपी बोर्ड प्रतीकात्मक फोटो

यूपी बोर्ड प्रतीकात्मक फोटो

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर परीक्षा के लिए इस बार घोषित ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों पर भी शिक्षा माफिया का काकस कायम रहा। अगर यह कहा जाए कि इस बार कहीं ज्यादा प्रभावी रहा शिक्षा माफिया तो अतिशयोक्ति न होगी। बोर्ड मुख्यालय से जारी ऑान लाइन परीक्षा केंद्रों की सूची में एक दो नहीं तमाम खामियां हैं। न विद्यालयों की धारण क्षमता का खयाल रखा गया है न दूरी का। कमोबेश यह हाल लगभग पूरे पूर्वांचल में है। अकेले बनारस में दो दिनों में 50 से ज्यादा आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी हैं। वैसे अभी 20 नवंबर की शाम पांच बजे तक आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। लेकिन इन आपत्तियों पर जिला परीक्षा समिति अंतिम फैसला लेगी। हालांकि ऐसा लगता नहीं कि बहुत ज्यादा फेरबदल होगा। कारण बनारस में घोषित 142 केंद्रों की सूची में खामियों की ही भरमार है।
बता दें कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में ही यह तय किया गया था कि यूपी बोर्ड के परीक्षा केंद्रों का निर्धारण जिला व मंडल स्तर पर मैनुवली न हो कर सब कुछ ऑनलाइन बोर्ड मुख्यालय से किया जाएगा। इसके लिए कुछ मानक भी तय किए गए ताकि परीक्षार्थिोयों को अपने विद्यालय से बहुत दूर न जाना पड़े। परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों को दरी व टाट पर बैठ कर परीक्षा न देनी पड़े। परीक्षा सीसीटीवी कैमरे की जद में हो ताकि नकल को आसानी से पकड़ा जा सके। यानी परक्षार्थी से लेकर परीक्षा की शुचिता तक पर ध्यान दिया गया था। चुनावी साल में यह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी। सूबे में सत्ता परिवर्तने के बाद नई सरकार ने पुरानी सरकार की इस व्यवस्था को अमली जामा पहनाने का निर्णय किया। इसके लिए प्रदेश के सभी विद्यालयो से ऑनलाइन सूचनाएं मांगी गईं। सभी प्रधानाचार्यों स्कूल प्रबंधन को विद्यालय परिसर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी सूचनाएं दी जानी थी। खास तौर पर विद्यालय तक उड़ाका दल आसानी से पहुंच सकता है या नहीं। विद्यालय में सीसीटीवी कैमरा है या नहीं, छात्रों की धारण क्षमता क्या है आदि आदि। लेकिन इस सूचना के प्रति विद्यालय प्रशासन बहुत संजीदा नहीं रहा। इसके लिए बोर्ड मुख्यालय से लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक तक से कई बार चेतावनी दी गई। खैर किसी तरह से सूचनाएं आनन-फानन में बोर्ड मुख्यालय भेजी गईं। उसके बाद चरणबद्ध तरीके से बोर्ड ने केंद्रों की ऑनलाइन सूची जारी करनी शुरू की। बनारस के लिए दो दिन पहले सूची जारी हुई है।
अगर बनारस की बात करें तो यहां ऐसे केंद्र भी बनाए गए हैं जहां महज 50-55 छात्र हैं, इससे ज्यादा छात्रों के बैठाने के लिए विद्यालय प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन ही नहीं है। लेकिन वहां 1180 परीक्षार्थ आवंटित कर दिए गए हैं। ऐसे विद्यालय हैं जहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हैं फिर भी उसे केंद्र बनाया गया है। ऐसे विद्यालय हैं जहां उड़ाका दल को पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी, वाहन तो कोई पहुंच ही नहीं सकता। फिर भी उसे केंद्र बनाया गया है। ऐसे छोटे-छोटे विद्यालयों की संख्या कम नहीं है 142 केंद्रों की सूची में। वहीं जिन विद्यालयों की धारण क्षमता पूरी है। पर्याप्त परीक्षार्थियों को वहां आसानी से बिठाया जा सकता है। सीसीटीवी कैमरे भी हैं और ऑन रोड हैं ये विद्यालय लेकिन उन्हें केंद्र नहीं बनाया गया है। ये ऐसे विद्यालय हैं जिन पर बोर्ड परीक्षा के इतिहास में कभी कोई दाग नहीं लगा। उनमें कुछ बालिका विद्यालय भी हैं। लेकिन उन्हें परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया है। गलीकूचों में स्थित विद्यालयों को तरजीह दी गई है।
मानकों की उड़ाई गई हैं धज्जियां

इस संबंध में जब पूर्व शिक्षक विधायक और कमलाकर चौबे आदर्श इंटर कॉलेज के भूगोल प्रवक्ता डॉ प्रमोद कुमार मिश्र से पत्रिका ने बात की तो उन्होंने कहा कि इस बार मानक की कहीं ज्यादा अनदेखी हुई है जबकि सारी जानकारी विद्यालय प्रशासन से पहले ही ले गई थी। उन्होंने बताया कि कुछ प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों ने बताया कि उन्होंने लिख कर दिया था कि उनके विद्यालय में पांच सौ से ज्यादा छात्रों को समाहित नहीं किया जा सकता, बावजूद इसके उन्हें 1200 के करीब छात्र आवंटित कर दिए गए हैं। दूरी की भी अनदेखी जमकर की गई है। उन्होंने बताया कि सबसे मजाक तो गाजीपुर में हुआ है जहां 65 किलोमीटर दूर तक विद्यार्थियों को भेज दिया गया है।
विद्यालयों ने जो सूचना दी उसी आधार पर बनें हैं केंद्र

इस बाबत जब जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी राय से पत्रिका ने बात की तो उनका कहना था कि स्कूलों-कॉलेजों ने जो सूचना दी धी उसी के आधार पर केंद्र बनाए गए हैं। अब उसमें कोई त्रुटि हुई है तो उसे डीएम की अध्यक्षता वाली जिला परीक्षा समिति की बैठक में दूर किया जाएगा। त्रुटियों को दूर करने के लिए ही तो 20 नवंबर तक आपत्तियां मांगी गई हैं।
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