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वाराणसी. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए अपनी खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने दो रणनीति बनायी है। पहली रणनीति का प्रयोग महागठबंधन नहीं होने पर किया जायेगा। यदि राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव की पार्टी में महागठबंधन हो जाता है तो बीजेपी प्लान बी पर भी काम करेगी।
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बीजेपी जानती है कि महागठबंधन को हराने के लिए दमदार प्रत्याशी की जरूरत होगी। बीजेपी की पहली रणनीति है कि सपा, बसपा व कांग्रेस में गठबंधन न हो। यदि बीजेपी की पहली योजना फेल हो जाती है तो भगवा दल दूसरी योजना पर काम करना होगा। दूसरी योजना के तहत ऐसे नेताओं को टिकट दिया जा सकता है जिनकी क्षेत्र पर अच्छी पकड़ हो। इन नेताओं में सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्री भी हो सकते हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने वर्ष 2014 में यूपी की 73 सीटें पर चुनाव जीता था लेकिन तीन सीटों पर उपचुनाव में पार्टी को हार भी मिल चुकी है। यूपी के काफी सांसद ऐसे हैं जिनकी अपने क्षेत्र पर अच्छी पकड़ नहीं है लेकिन वह पीएम मोदी की लहर में चुनाव जीत गये थे। बीजेपी ने पहले ही संकेत दिया है कि ऐसे नेताओं के टिकट काट दिये जायेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी इनका टिकट काटेगी। बीजेपी जानती है कि पुराने नेताओं का टिकट काट कर बाहरी लोगों को प्रत्याशी बनाना बेहद जोखिम भरा हो सकता है ऐसे में उन लोगों को तव्वजो दी जा सकती है जो पहले से विधायक व मंत्री है जिनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।
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जातीय समीकरण का रखा जायेगा विशेष ध्यान
पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम पर बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग मजबूत हो गयी थी लेकिन जिस तरह से सीएम योगी सरकार पर खास जाति कार्ड खेलने का आरोप लग रहा है उससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है। बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह भी इस स्थिति से वाकिफ है ऐसे में बीजेपी जाति कार्ड खेलते हुए खास लोगों को प्रत्याशी बना कर अपनी सोशल इंजीनियरिंग मजबूत कर सकती है। बीजेपी इस बार अधिक संख्या में महिला प्रत्याशी को टिकट देकर उज्जवला योजना व तीन तलाक का फायदा भी उठा सकती है।
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Published on:
23 Jul 2018 08:52 pm
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