
काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी
वाराणसी. काशी के डोमराजा जगदीश चौधरी का मंगलवार की सुबह इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जांघ में जख्म के चलते पिछले कई महीनों से उनका इलाज चल रहा था। उनके न निधन की खबर के बाद वाराणसी के त्रिपुरा भैरवी घाट स्थित उनके घर पर लोगों की भीड़ जुट गई। डोमराजा जगदीश चौधरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में अपना प्रस्तावक बनाया था। उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उनके निशन पर शोक प्रकट किया।
डोम राजा जगरीश चौधरी के निधन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए एक के बाद एक लगातार दो ट्वीट कर उनके निधन पर दुख जताया। उन्होंने डोमराजा जगदीश चौधरी को सामाजिक समरसता की भावना का प्रतीक पुरुष बताया। मुख्यमंत्री ने डोमराजा जगदीश चौधरी के निवास पर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की अगुवाई में धर्माचार्यों द्वारा सहभोज किये जाने का भी जिक्र किया।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा
सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है।
बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें।
ॐ शांति!
बाबा विश्वनाथ के आराधक डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी के निवास पर पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की अगुवाई में धर्माचार्यों द्वारा सहभोज किया जाना, भेदभाव रहित भारतीय समाज की भावना का अप्रतिम उदाहरण था।
दोनों हुतात्माओं की पुण्य स्मृति को प्रणाम!
पीएम मोदी ने बनाया था प्रस्तावक
काशी के डोमराजा जगदीश चौधरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकसभा चुनाव में प्रस्तावक बनाया था। इसको लेकर वह भी काफी खुश थे और इसे पूरी बिरादरी के लिये गर्व का विषय बताया था। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा था कि हम समाज में अपनी अलग पहचान को तरस गए हैं। यह पहली बार है कि बरसों से लानत झेलते आए हम लोगों को किसी राजनैतिक दल ने पहचान दी है। नेता आते हैं और वोट मांगकर चले जाते हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि नरेन्द्र मोदी जीतकर हमारी पीड़ा को समझेंगे और और समाज में हमें वो दर्जा दिलाएंगे। हमारे दिन और दशा जरूर बदलेंगे।
कौन होते हैं डोम राजा
पुरातन धर्मनगरी काशी के गंगा तट पर हरिश्चन्द्र घाट और मणिकर्णिका घाटों पर अंतिम संस्कार होते हैं। इन घाटों पर अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी डोम समाज के पास है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। इसी के चलते इन्हें डोम राजा कहा जाता है। हरिश्चन्द्र और मणिकर्णिका घाट में लगभग 500 से 600डोम रहते हैं। हालांकि उनकी बिरादरी में 5000 से अधिक लोग बताए जाते हैं। अंतिम संस्कार के इन घाटों पर बाकायदा उनकी पारी बंधी हुई है। घाटों पर हर डोम की बारी लगती है, जिसमें किसी की 10 तो किसी-किसी की 20-20 दिन पर बारी आती है। जब बारी नहीं होती तो बेगारी होती है। इनकी कमाई का जरिया केवल अंतिम संस्कार है, जिससे किसी तरह इनके परिवार का भरण पोषण हो पाता है।
Published on:
25 Aug 2020 02:35 pm
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