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PCS अफसर के बच्चों के बाद पत्नी की भी मौत, 3 दिन में उजड़ा पूरा परिवार, रो-रोकर बुरा हाल

PCS officer children-wife death : PCS अफसर विजय कुमार सिंह के बेटा-बेटी की मौत के बाद पत्नी ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वह पिछले 3 दिन से अस्पताल में भर्ती थीं।

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PCS अफसर के बच्चों की मौत के बाद पत्नी ने भी तोड़ा दम, PC- Patrika

वाराणसी : वाराणसी में तैनात PCS अफसर विजय कुमार सिंह के बेटा-बेटी की मौत के बाद पत्नी की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। वह पिछले 3 दिन से अस्पताल में भर्ती थीं। अमीषा का शुगर लेबल बढ़ गया था और बीपी काफी लो हो गया था। बिहार के छपरा में अंगीठी कांड में मरने वालों की संख्या 5 हो गई। वहीं 3 लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।

यह हादसा 26 दिसंबर की रात छपरा के भगवान बाजार थाना क्षेत्र की अंबिका कॉलोनी में हुआ। वाराणसी में तैनात अपर जिला सहकारी अधिकारी (PCS) विजय कुमार सिंह की पत्नी अमीषा देवी ठंड की छुट्टियों में अपने दोनों बच्चों, 3 साल के तेजस और 4 साल की अध्याय को लेकर ननिहाल आई थीं। आज इलाज के दौरान अमीषा ने दम तोड़ दिया।

मरने वालों में PCS अफसर विजय सिंह का बेटा तेजस, बेटी अध्याय, पत्नी अमीषा, साढ़ू की बेटी गुड़िया और सास कमलावती शामिल हैं। तीनों बच्चे मौसेरे भाई-बहन हैं। वहीं विजय की पत्नी अमीषा, साली अंजलि और साला अमित गंभीर रूप से घायल है।

डॉक्टर ने बच्चों को ठंड से बचने की दी थी सलाह

परिजनों के अनुसार, बच्चों को हल्का बुखार था। डॉक्टर से चेकअप कराया गया और ठंड से बचाव की सलाह मिली। शाम को खाना खाने के बाद ठंड से बचने के लिए नानी कमलावती देवी ने अंगीठी जला दी। इसमें धान का भूसा और गोबर के उपले डाले गए ताकि देर तक गर्मी बनी रहे।

घर के बड़े हॉल में सभी एक साथ सोए- नानी, दोनों बहनें, अमित और तीनों बच्चे। कमरा पूरी तरह बंद था, वेंटिलेशन नहीं था। रात 10 बजे के बाद अन्य परिजन अलग कमरे में सोने चले गए।

सुबह देर तक कोई नहीं उठा। जब दरवाजा खोला गया तो कमरा धुएं से भरा था। सभी बेहोश पड़े थे। पड़ोसियों की मदद से सभी को छपरा सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां चार को मृत घोषित कर दिया गया। बाकी को पटना रेफर किया गया था।

कफन हटाते ही छलका पिता का दर्द

सूचना मिलते ही वाराणसी से विजय कुमार सिंह छपरा पहुंचे। अस्पताल में बच्चों के शव देखकर वे फफक-फफक कर रो पड़े। बार-बार कफन हटाकर बच्चों का चेहरा देखते रहे और रोते हुए बोले, अभी तीन दिन पहले ही उन्हें नानी के यहां छोड़ा था। जाने लगा तो बेटा तेजस जिद करने लगा कि पापा चिप्स खानी है। मैंने कहा था- अब आऊंगा तो चिप्स लेकर आऊंगा। लेकिन मैं अपने बच्चे को चिप्स भी नहीं खिला सका… मेरा सब कुछ उजड़ गया। बच्चे नहीं रहे तो हम जिंदा रहकर क्या करेंगे? स्कूल में एडमिशन की तैयारी कर रहा था, आज ड्रेस की जगह कफन उठा रहा हूं।' यह दृश्य देखकर अस्पताल में मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। गुड़िया के पिता दीपक भी बेटी को देखकर लगातार रोते रहे।

कैसे अंगीठी बनी मौत की वजह

अंगीठी से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। बंद कमरे में यह धीरे-धीरे फैलती है और ऑक्सीजन की जगह ले लेती है। सोते हुए लोगों को पहले सुस्ती आती है, फिर गहरी नींद और अंत में दम घुटने से मौत। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर सबसे तेज होता है।


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