
किसानों ने फेंका आलू
गाजीपुर. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्र योगी आदित्यनाथ ने किसानों की बदहाली दूर करने का वादा किया था। डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने पहली बैठक में समर्थन मूल्य का ऐलान करने के साथ ही सरकारी खरीद का ऐलान किया था। पर आलू किसानों को शायद इसका कोई फायदा नहीं हुआ लगता है, क्योंकि गाजीपुर में किसानों ने सैकड़ों बोरे आलू सड़कों पर फेंक दिये। किसानों का दावा है कि उन्हें लागत के बाद जो मुनाफा मिल रहा है वह उतना भी नहीं जितने की कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिये एक बोरी खरीदी जाती है। किसानों ने मांग किया है कि उन्हें आलू का समर्थन मूल्य गेहूं की तर्ज पर उतनी ही कीमत पर दिया जाय।
मंगलवार को बड़ी तादाद में किसान सैकड़ों बोरी आलू और गाड़ियों में बछड़े व सांड़ लेकर जिला मुख्यालय पहुंच गए। इसके बाद वहां जो हुआ वो देखकर लोग हैरान रह गए। किसानों ने एक-एक कर बोरे उतारे और आलू सड़क पर फेंकना शुरू कर दिया। देखते ही देखते सैकड़ों बोरी आलू किसानों ने सडक पर फेंक दिया। इसके बाद किसानों ने साथ लाए बछड़े और सांड़ों को भी मुख्यालय पर हकाल दिया। यह उनके विरोध का अनोखा तरीका था। एक तरफ वह आलू पर हो रहे नुकसान की ओर शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना चाह रहे थे तो दूसरी ओर आारा और छुट्टा पशुओं की समस्या पर नाराजगी भी जताना उनका मकसद था। वो ये सब कर रहे थे और पुलिस मूक दर्शक बनी हुई थी।
मुख्यालय की सड़क पर आलू फेंके जाने और आवारा पशुओं को छोड़े जाने की सूचना मिली तो सदर एसडीएम तत्काल मौके पर पहुंचे और किसानों को रोकने की कोशिश की। इस पर एसडीएम और किसानों के बीच काफी नोंक-झोंक भी हुई। किसी तरह से एसडीएम ने समझा-बुझाकर किसानों को मनाया और बड़ी संख्या में लाए गए आवारा पशुओं को वापस भेजा। इस दौरान प्रदर्शन करने गए किसानों ने जमकर योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदर्शन में किसान महासभा के लोगों ने अगुवाई की। उनके कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ मिलकर खूब नारेबाजी की। किसान महासभा के महामंत्री और पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते किसान परेशान हैं। छुट्टा पशुओं का आतंक इतना बढ़ गया है कि किसानों की खड़ी फसल बर्बाद कर रहे हैं। खरीफ की फसल इनकी भेंट चढ़ चुकी है। अब ये रबि की फसल को नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि आलू का किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा। खाद-बीज का दाम बढ़ गया है। किसानों को महज 25 रुपये ही मिल रहे हैं, जो कि एक बोरे की कीमत भी नहीं, जिसमें किसान आलू रखते हैं। कहा कि किसानों ने एक मांग पत्र एसडीएम को सौंपा है, जिसमें आवारा पशुओं की समस्या और आलू के समर्थन मूल्य की मांग की गयी है। एसडीएम सदर विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि किसानों का पत्रक शासन को भेजा जाएगा, वहां से आए निर्देशों का पालन होगा।
Published on:
25 Oct 2017 12:27 am
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