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वाराणसी में गंगा नदी पर जल्द मिलेगा तैरने वाला सीएनजी स्टेशन

अब जल्द ही आपको नदी में तैरने वाला सीएनजी स्टेशन भी दिखाई देंगे। जी हां ये बनेगा वाराणसी के गंगा नदी में। और ये कमाल किया है आईआईटी के इंजीनियरों ने। वाराणसी में खिड़किया घाट को अत्याधुनिक माडल घाट के रूप में तैयार किया गया है। यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।इससे सीएनजी नावों को ईंधन मिल सकेगा। विश्व का यह पहला तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन है।

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वाराणसी. अब जल्द ही आपको नदी में तैरने वाला सीएनजी स्टेशन भी दिखाई देंगे। जी हां ये बनेगा वाराणसी के गंगा नदी में। और ये कमाल किया है आईआईटी के इंजीनियरों ने। वाराणसी में खिड़किया घाट को अत्याधुनिक माडल घाट के रूप में तैयार किया गया है। यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।इससे सीएनजी नावों को ईंधन मिल सकेगा। विश्व का यह पहला तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन है।

यात्री सीएनजी नावों से काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर तक पहुंचने के लिए नदी का रास्ता अपना सकते हैं। नावों में सीएनजी भरवाने के लिए गंगा तट पर आइआइटी के विज्ञानियों ने तैरने वाला सीएनजी स्टेशन तैयार किया है। हमारी इन्क्यूबेटेड कंपनी ने नावों के लिए दुनिया का पहला तैरने वाला सीएनजी स्टेशन बनाया है। पेटेंट तकनीक से सेल्फ एडजङ्क्षस्टग फिक्स्ड टाइप जेट्टी (एसएएफटीजे) को भी सफलतापूर्वक तैयार किया है। जेट्टी की खासियत है कि बाढ़ के दौरान नियंत्रित जोखिम के साथ सभी डिस्पेंसर के लिए सीएनजी पाइप लाइन कनेक्शन सुरक्षित रहेंगे। जलस्तर बढऩे पर पाइप लाइन प्लेटफार्म के साथ ऊपर व नीचे हो सकेंगी।

एक्वाफ्रंट इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को तीन वर्ष पूर्व आइआइटी बीएचयू के छात्र अंकित पटेल व अचिन अग्रवाल ने मिलकर बनाया था। आइआइटी कानपुर ने इसमें तकनीकी मदद की थी। कंपनी फ्लोटिंग डाक्स, स्टील की फ्लोटिंग जेट्टी, डंब बार्ज (नदियों में भारी माल ले जाने के लिए तैरने वाला प्लेटफार्म) आदि उत्पाद बनाती है। वाराणसी में कंपनी के निदेशक अंकित पटेल व अचिन के साथ ही केशव पाठक, राकेश जटोलिया और जय शंकर शर्मा ने प्रोजेक्ट तैयार किया। आइआइटी बीएचयू के प्रो. केके पांडेय के प्रयास से इसे लागू किया गया है।

कंपनी के निदेशक ने बताया कि इसी वर्ष जुलाई में उन्हें सरकार की ओर से यह प्रोजेक्ट मिला था। तब 2.85 करोड़ रुपये का टेंडर था, लेकिन इसे तैयार करने में कुल 3.62 करोड़ रुपये लगा है। करीब पांच महीने में प्रोजेक्ट पूरा कर लिया गया और आइआइटी बीएचयू के साथ ही इंडियन रजिस्टर आफ शिपिंग की ओर से जांच के बाद उसे प्रमाणित भी किया जा चुका है। अब वाराणसी में रविदास घाट पर ऐसा ही स्टेशन बनाने की तैयारी है।अब जल्द ही आपको नदी में तैरने वाला सीएनजी स्टेशन भी दिखाई देंगे। जी हां ये बनेगा वाराणसी के गंगा नदी में। और ये कमाल किया है आईआईटी के इंजीनियरों ने। वाराणसी में खिड़किया घाट को अत्याधुनिक माडल घाट के रूप में तैयार किया गया है। यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली और सुविधाओं की दृष्टि से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।इससे सीएनजी नावों को ईंधन मिल सकेगा। विश्व का यह पहला तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन है।