
SSP Prabhakar Chaudhary
वाराणसी. यह युवा आईपीएस अधिकारी जहा भी जाते हैं वहा पर काम के बल पर अपनी धमक दिखा देते हैं। बुंदलशहर में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के बाद स्थिति संभालनी हो या फिर सोनभद्र के उम्भा गांव में हुए नरसंहार के बाद आरोपियों को पकडऩा हो। आईपीएस प्रभाकर चौधरी ने इन सभी कार्य को करके दिखाया है इसके चलते ही उन्हें यूपी सरकार का संकटमोचक माना जाता है। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने के लिए प्रभाकर चौधरी को एसएसपी बना कर भेजा है अभी उन्होंने ज्वाइन भी नहीं किया था कि अधिकारी की हनक दिख गयी और 40 सिपाहियों को तबादला कर दिया गया।
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बनारस के कुछ पुलिसकर्मी पर पशु व शराब तस्करी करने का आरोप लगा था। इन्ही आरोपों में कई पुलिसकर्मी हटाये गये थे तो कुछ को जेल की हवा खानी पड़ी थी। तत्कालीन एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने लंबे समय तक एक ही थानों में तैनात पुलिसकर्मियों को तबादला किया था। अधिकांश पुलिसकर्मी साढ़े तीन साल से एक थाने में जमे थे इसमे सीमा पर बने थानों में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या सबसे अधिक थी। छह माह पहले ही इन सिपाहियों का तबादला किया गया था लेकिन कार्यमुक्त करने वाली फाइल दब कर रह गयी थी। इसी बीच बनारस में बढ़ते अपराध को देखते हुए एसएसपी आनंद कुलकर्णी का लखनऊ तबादला किया गया और उनकी जगह सोनभद्र में एसपी रहे प्रभाकर चौधरी को चार्ज दिया गया। प्रभाकर चौधरी के आने की सूचना मिलते ही आनन-फानन में 40 सिपाहियों के तबादले वाली फाइल आगे बढ़ा दी गयी। पुलिसकर्मियों को सख्त अधिकारी की जानकारी थी इसलिए वह खुद को बचाने के लिए पुराना आदेश को लागू करने में जुट गये। प्रभाकर चौधरी के आने के बाद से उन थानेदारों की भी नीद उड़ी हुई है जो खुलासा करने में नाकाम रहने के बाद भी कुर्सी पर जमे हुए हैं।
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Published on:
03 Nov 2019 12:55 pm
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