वाराणसी

Ganga Water Level: वाराणसी में गंगा उफान पर, हर घंटे बढ़ रहा जलस्तर, निचले इलाकों में अलर्ट जारी

Ganga Water Level Alert : वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। राजघाट स्थित केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, जलस्तर 68.74 मीटर तक पहुंच गया है और यह 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से बढ़ रहा है। प्रशासन अलर्ट पर है और निचले इलाकों में सतर्कता बरती जा रही है।

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Jul 17, 2025
राजघाट गेज स्टेशन पर 68.74 मीटर दर्ज, चेतावनी और खतरे के निशान से अभी नीचे फोटो सोर्स : Social Media

Ganga Water Level Varanasi Flood Alert: श्रावण माह और मानसूनी बारिश के बीच वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, 15 जुलाई 2025 की शाम 8 बजे तक राजघाट स्थित गेज स्थल पर जलस्तर 68.74 मीटर दर्ज किया गया है। गंगा का जलस्तर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है, जो अगले कुछ दिनों में और तेज हो सकता है। पिछले 12 घंटों में जलस्तर में 32 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि फिलहाल चेतावनी स्तर (70.262 मीटर) और खतरे के निशान (71.262 मीटर) से यह जलस्तर नीचे है। लेकिन प्रशासन इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए पूरी सतर्कता बरत रहा है।

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 क्या कहता है गेज रीडिंग डेटा

  • स्थान: राजघाट, वाराणसी
  • जलस्तर (15 जुलाई, शाम 8 बजे): 68.74 मीटर
  • वृद्धि की दर: 2 सेमी प्रति घंटा
  • बीते 12 घंटे में वृद्धि: 32 सेमी
  • चेतावनी स्तर: 70.262 मीटर
  • खतरे का निशान: 71.262 मीटर
  • अब तक का रिकॉर्ड उच्चतम जलस्तर (H.F.L.): 73.901 मीटर

प्रशासन हुआ सतर्क, घाटों पर निगरानी तेज

गंगा के जलस्तर में हो रही लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए वाराणसी जिला प्रशासन ने नदी किनारे के घाटों और निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है। नगर निगम और आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे:

  • घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाएं
  • नाव संचालन को नियंत्रित करें
  • जलभराव वाले क्षेत्रों की निगरानी करें
  • नाविकों और श्रद्धालुओं को सतर्क करें

नगर आयुक्त ने कहा कि “गंगा के जलस्तर पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। घाटों पर पेट्रोलिंग टीमें तैनात की गई हैं। कोई भी नाविक या श्रद्धालु जलस्तर बढ़ने की स्थिति में घाटों के समीप जाने से पहले अनुमति ले।”

मानसून और ऊपरी क्षेत्रों में बारिश बनी वजह

पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड और बिहार के ऊपरी क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश हो रही है। इससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में पानी का प्रवाह बढ़ गया है। हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी और फरक्का बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण वाराणसी तक गंगा में जलस्तर वृद्धि का सीधा असर पड़ता है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 3-4 दिनों तक पूर्वांचल और तराई क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है। इससे गंगा के जलस्तर में और बढ़ोतरी हो सकती है।

निचले इलाकों में आशंका, लोगों को सतर्क किया गया

जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से वाराणसी के कई निचले इलाकों में पानी भरने की आशंका बन गई है। खासकर:

  • नगवा
  • आदमपुर
  • राजघाट
  • अस्सी
  • डाफी
  • कच्छा इलाका

इन क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को अभी से सतर्क रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। नगर निगम की टीम ने जल निकासी के नाले और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई तेज कर दी है ताकि जलभराव से निपटा जा सके।

इतिहास: कब-कब आया था खतरे का स्तर

  • 2013: गंगा का जलस्तर 71.50 मीटर पहुंच गया था, जिससे कई घाट जलमग्न हो गए थे।
  • 2016: 72.20 मीटर, कई निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे।
  • 2019: 71.80 मीटर तक जलस्तर पहुंचा था, लेकिन राहत टीमों ने स्थिति को संभाला।

इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि 70 मीटर के बाद हालात धीरे-धीरे गंभीर होने लगते हैं।

आपदा प्रबंधन दल तैनात, राहत शिविरों की तैयारी शुरू

जिला प्रशासन ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन दल (SDRF और NDRF) को अलर्ट मोड पर रखा है। राहत शिविरों के लिए विद्यालयों और पंचायत भवनों को चिह्नित किया गया है। दवाओं, नावों और राशन का भंडारण भी शुरू कर दिया गया है।

तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए अलर्ट

वाराणसी एक धार्मिक और पर्यटन नगरी है। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान, पूजा-पाठ और धार्मिक क्रियाओं के लिए उमड़ती है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए:

  • गंगा आरती वाले घाटों पर सुरक्षा घेरा लगाया गया है।
  • नावों की संख्या सीमित की गई है।
  • घाटों पर स्वच्छता और जीवन रक्षक उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाई गई है।

जनता से अपील और दिशा-निर्देश:

  • निचले इलाकों में रहने वाले लोग सावधानी बरतें और जरूरत हो तो ऊंचे स्थानों पर चले जाएं।
  • बिना अनुमति के गंगा में नाव या तैराकी से बचें।
  • अफवाहों पर ध्यान न दें, केवल सरकारी सूचना पर भरोसा करें।
  • प्रशासन के टोल-फ्री नंबर और आपातकालीन हेल्पलाइन को सुरक्षित रखें।

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