
Guru Purnima
वाराणसी. गुरू पूर्णिमा हिंदू धर्म का बहुत खास दिन माना जाता है। इस दिन गुरू की पूजा की जाती है। आप जिसे भी अपना गुरू मानते हैं आज के दिन उनका चरण धुलकर उन्हें तिलक कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन आदिगुरु, महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी कि महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। आइए बताते हैं गुरू पूर्णिमा की पूजन विधि।
गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि
1. गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है। मान्यता है कि गुरू के जरिए ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। गुरू पूर्णिमा के दिन गुरू की भी पूजा भगवान की तरह ही करनी चाहिए।
2- गुरु पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें औऱ अपने गुरू का आशीर्वाद लें।
3- गुरू पूर्णिमा के दिन व्यास पीठ का बहुत महत्व है। घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।
4- इसके बाद 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'' इस मंत्र का उच्चारण करें।
5- पूजा के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें।
6- अगर गुरु सामने ही हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं। उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें।
7 - उसके बाद गुरू को भोजन कराएं, फिर दक्षिण दें और पैर छूकर विदा करें।
गुरू पूर्णिमा के दिन आप ऐसे किसी भी इंसान की पूजा कर सकते हैं जिसे आप अपना गुरु मानते हैं। चाहे वह ऑफिस के बॉस हों, सास-ससुर, भाई-बहन, माता-पिता या दोस्त ही क्यों न हों।
अगर आपके गुरु का निधन हो गया है तो आप उनकी फोटो की विधिवत् पूजा कर सकते हैं।
Published on:
16 Jul 2019 01:25 pm
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