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ज्ञानवापी हेट स्पीच मामला: अखिलेश यादव के अधिवक्ता ने कोर्ट में दाखिल की आपत्ति, पुनरीक्षण याचिका निरस्त करने की मांग

Gyanvapi Hate Speech Case: ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजूखाने जिसमें कथित शिवलिंग होने की बात की जा रही है में गन्दगी फैलाने और अखियलश यादव और असदुद्दीन ओवैसी के हेट स्पीच मामले में गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी। अपर जिला जज (नवम) की अदालत में लंबित इस मामले में पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने से यह सुनवाई नहीं हुई। वहीं आज इस मामले में प्रतिवादी संख्या 6 अखिलेश यादव के अधिवक्ता ने आपत्ति दाखिल की है।

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Akhilesh advocate raised objection in Gyanvapi case

ज्ञानवापी मामले में अखिलेश के अधिवक्ता ने डाली आपत्ति

Gyanvapi Hate Speech Case: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर ज्ञानवापी को लेकर हेट स्पीच का मामला वाराणसी कोर्ट में दर्ज है। अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की अर्जी पर निचली अदालत यह मुकदमा खारिज कर चुकी है जिसपर एक पुनरीक्षण याचिका अपर जिला जज (नवम) की अदालत में डाली गई है। गुरुवारको इस मामले में सुनवाई नहीं हुई और कोर्ट ने 20 नवंबर की अगली तारीख दी है। इसी बीच अखिलेश यादव के अधिवक्ता ने कोर्ट में आपत्ति दाखिल कराई है।

किस आधार पर धार्मिक विद्वेष फैलाने का आरोप

ज्ञानवापी हेट स्पीच मामले में गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी पर कोर्ट में अखिलेश यादव के अधिवक्ता अनुज यादव की की ओर से लंबित पुनरीक्षण याचिका पर गुरुवार को आपत्ति दाखिल की गई। आपत्ति में कहा गया है कि पुनरीक्षणकर्ता हरिशंकर पांडेय ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में निचली अदालत द्वारा पारित आदेश के संबंध में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है कि किस आधार पर उनका प्रार्थना पत्र खारिज किया गया था।

जब कोर्ट कमीशन सर्वे में नहीं थे शामिल तो कैसे बताया कि धार्मिक विद्वेष फैलाया

इस आपत्ति पत्र में अखिलेश के अधिवक्ता ने यह भी पूछा है कि जब पुनरीक्षणकर्ता हरिशंकर पांडेय कमीशन कार्रवाई के लिए गठित टीम में सदस्य नहीं थे और न ही मौके पर मौजूद थे ऐसे स्थिति में फिर किस आधार पर विपक्षी पर हरिशंकर पांडेय ने यह आरोप लगाया गया कि धार्मिक विद्वेष फैलाकर अखिलेश यादव जो की पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं वो माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। अपने कथन के समर्थन में एडवोकेट कमीशन की कार्रवाई में शामिल सदस्यों के नामों की सूची अदालत में पेश की गई साथ ही आपत्ति में पुनरीक्षणकर्ता की याचिका निरस्त करने की मांग की गई है।