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गंगा रक्षा के लिए हरिद्वार में स्वामी सानंद का आमरण अनशन, काशी में उबाल

काशी में स्वामी सानंद ने लिया था संकल्प, मां गंगा के लिए त्याग दूंगा शरीर। अब हरिद्वार में शुरू किया आमरण अनशन।

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गंगा और स्वामी सानंद

गंगा और स्वामी सानंद

वाराणसी. मां गंगा अपने वजूद को खोती नजर आ रही हैं। राजा भगीरथ के अथक प्रयास से धरती के लोगों को तारने की खातिर अवतरित मां गंगा में अब जल ही नहीं रहा। कल-कल करती गंगा अब सुसुप्त अवस्था में पहुंच गई है। गंगा में पाए जाने वाली औषधियां खत्म होती जा रही हैं। यहां तक कि ऑक्सीजन की कमी हो गई है। जलीय जीव जंतु मर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों को न गंगा की अविरलता से सरोकार रह गया है न निर्लमता से। ऐसे में गंगा की रक्षा के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले पर्यावरण वैज्ञानिक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के पर्यावरण विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर 86 साल के प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने गंगा नदी पर बांधों के निर्माण के खिलाफ हरिद्वार में 22 जून से आमरण अनशन शुरू कर दिया है। वहां उन्हें अपार समर्थन मिल रहा है। देश भर के आईटियंस ने उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है। वो अलग-अलग तरीके से केंद्र सरकार को पत्र भेज रहे हैं। एेसे में स्वामी सानंद की पीड़ा से काशी भला कैसे अछूती रह सकती है। यहां के लोगों ने भी इस नदी वैज्ञानिक के समर्थन में उपवास पर बैठने की घोषणा कर दी है।

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तीन मांगों को लेकर हरिद्वार में बैठे हैं आमरण अनशन पर
गंगा पर बन रहे बांधों और खनन को पूर्णतया प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर प्रो. जीडी अग्रवाल ऊर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने हरिद्वार के मातृसदन में गत 22 जून से आमरण अनशन शुरू किया है। स्वामी सानंद का कहना है कि वह गंगा की व्यथा और गंगा को लेकर सरकार के उदासीन रवैये से दुखी हैं। यही वजह है कि आमरण अनशन शुरू किया है। स्वामी सानंद की तीन प्रमुख मांगें हैं, इसके तहत विष्णुगढ़ पिपलकोटी, सिंगोली भवरी और फाटा बयोंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजन बंद करना, जस्टिस गिरधर मालवीय के नेतृत्ववाली समिति की ओर से तैयार गंगा संरक्षण अधिनियम को संसद में पारित कराना और गंगा के बारे में किसी भी निर्णय से पहले अनुमति के लिए राष्ट्रीय गंगा अनुयायी समिति का गठन। स्वामी सानंद ने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, आमरण अनशन जारी रहेगा। गंगा रक्षा के लिए अनशन के माध्यम से ही प्राण त्याग देंगे।

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काशी में ही देह त्याग का लिया था संकल्प
बता दें कि अभी पिछले दिनों काशी प्रवास पर आए स्वामी सानंद सीधे तुलसी घाट पहुंचे थे और संकट मोचन महंत प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र से एकांत में मिले थे। उस दौरान करीब घंटे भर की मंत्रणा के दौरान वह काफी व्यथित दिखे। महंत जी ने पत्रिका को बताया था कि स्वामी सानंद इतने टूटे हुए नजर आए कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर मैं मां की रक्षा नहीं कर सकता तो मुझे जीने का अधिकार नहीं, लिहाजा मैंने तय किया है कि अब अपना देह त्याग दूंगा। उस बातचीत को भी पत्रिका ने विस्तार से प्रसारित किया था। वैसे स्वामी सानंद गंगा रक्षा के लिए कई बार अनशन पर बैठ चुके हैं। लेकिन इस बार वह तय करके बैठे हैं कि अगर उनकी नहीं सुनी गई तो वह वहीं अपने प्राण त्याग देंगे।

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स्वामी सानंद के आमरण अनशन के समर्थन में काशी में सांकेतिक उपवास
अब स्वामी सानंद के समर्थन में काशी के लोग भी आ गए हैं। मां गंगा की अविरलता व निर्मलता के लिए बांधों व खनन के विरोध में प्रसिद्ध पर्यावरण विज्ञानी प्रो. जी.डी. अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद सरस्वती जी) आमरण अनशन के समर्थन में काशी में चार जुलाई को पुराना अस्सी घाट पर दिन के 10 से सायं 04 बजे तक सांकेतिक उपवास की घोषणा की गई है। यह घोषणा साझा संस्कृति मंच ने की है। मंच के अधिष्ठाता बल्लभाचार्य पांडेय ने पत्रिका को यह जानकारी दी।