11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Navratri 2019-मां कुष्मांडा की ऐसे करेंगे पूजा तो बदल जायेगा भाग्य, मां लक्ष्मी का भी मिलेगा आशीर्वाद

नवरात्र के चौथे दिन किया जाता है दर्शन, जानिए ज्योतिषाचार्य ने बतायी क्या बाते

2 min read
Google source verification
Maa Kushmanda

Maa Kushmanda

वाराणसी. नवरात्र के चौथे दिन मंा कुष्मांडा का दर्शन किया जाता है। 2 अक्टूबर को इस विधि से माता की पूजा करेंगे तो भाग्य बदल जायेगा। मां कुष्मांडा प्रसन्न हुई तो लक्ष्मी माता का भी आशीर्वाद मिलेगा। बनारस में दुर्गाकुंड में माता का मंदिर है जहां पर भोर से ही दर्शन करने वालों की लाइन लग जाती है।
यह भी पढ़े:-Navratri 2019-नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा के दर्शन करने से शत्रु हो जाते हैं पराजित, यह होता है लाभ

शारदीय नवरात्र में आदि शक्ति के नौ रुपों का दर्शन करने का विधान है। इसके पीछे बहुत खास कारण है। देवी के नौ रुपों की शक्ति अलग-अलग होती है और मां के इन नौ रुप का दर्शन करने से ग्रह शांति मिलती है साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधा दूर हो जाती है। मां कुष्मांडा का दर्शन मिलना बहुत सौभाग्य की बात होती है। काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी ने बताया कि कुष्मांडा देवी का दर्शन नवरात्र के चौथे दिन किया जाता है। मां सिंह पर सवार है, इसलिए मां को अष्टभुजा वाली देवी भी कहते हैं। शास्त्र के अनुसार मां ने बह्मांड को उत्पन्न किया है। इसे दूसरे शब्दों में समझे तो माता के पहले ब्रह्मांड नहीं था। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मां कुष्मांडा का संस्कृत में अर्थ सफेद कोहड़ा भी होता है। माता को सफेद कोहड़ा की बलि बहुत पसंद है। कुष्मांडा देवी का निवास सूर्यलोक के अंदर है। ब्रह्माडं के सभी तेज में माता की शक्ति है। माता अपने भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करती। कुष्मांडा देवी को नरियल की बलि, गुडहल, चमेली का पुष्प बहुत पसंद है इसलिए दर्शन करने वालों को इन चीजों को अवश्य चढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता प्रसन्न हुई तो भक्तों को स्वास्थ्य, धन, व वैभव का आशीर्वाद देती है। समाजसेवा वालों की माता की अराधना जरूर करनी चाहिए। अराधना करने से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। उन्होंने कहा कि कुष्मांडा देवी का दर्शन करने पर मां लक्ष्मी का भी वरदान मिलता है। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने कहा कि सबसे प्रमुख चीज यह है कि मां की अराधना करने से एक विशेष चक्र जागृत होता है, जिससे भक्त को ज्ञान, वृद्धि, वैभव सभी प्राप्त होता है। भक्त का आभा मंडल स्वर्ण क्रांति की तरह चमकने लगता है। भक्त की वाणी में तेज आ जाता है और उसके जीवन में आने वाली सारी बाधा पल भर में दूर हो जाती है।
यह भी पढ़े:-इस माह 11 दिन बंद रहेंगे बैंक, जल्द निबटा ले सारा काम