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वाराणसी

जानिए वह पांच कारण जिससे भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर के आने से परेशान हुई मायावती

नहीं सफल हुआ दांव ने यूपी चुनाव 2022 में बढ़ जायेगी परेशानी, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीApr 03, 2019 / 02:30 pm

Devesh Singh

Mayawati and Army Chief Chandrashekhar

Mayawati and Army Chief Chandrashekhar

वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से राजनीति की नयी इबारत लिखने की तैयारी हो चुकी है। भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर ने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे का ऐलान कर बसपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी। लोकसभा चुनाव 2019 में किसको जीत मिलती है यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। इतना साफ है कि कांग्रेस से लेकर भीम आर्मी भी इस चुनाव के साथ यूपी चुनाव 2022 से पहले खुद को पूर्वांचल में मजबूत करना चाहती है इसके चलते इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है।
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बसपा सुप्रीमो मायावती जिस तरह से भीम आर्मी चन्द्रशेखर पर ट्वीट वार कर रही है उससे अनुमान लग रहा है कि बहुजन समाज के वोट बैंक को लेकर उनकी चिंता बढ़ गयी है। मायावती ने भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर को बीजेपी का एजेंट बता कर अपने वोटरों को सर्तक रहने को कहा है। बसपा के परम्परागत वोटर इस बार किधर जाते हैं यह चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा। हम उन पांच कारणों की चर्चा करते हैं जिससे भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर के आने से मायावती परेशान है।
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1-बहुजन समाज के वोट बैंक में बिखराव का खतरा
अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के तहत पूर्वांचल की अधिक सीट पर प्रत्याशी उतारने की जिम्मेदारी सपा को मिली है। बनारस में सपा प्रत्याशी भी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा। गठबंधन के कारण बसपा इन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसे में भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर को अपनी पार्टी मजबूत करने का बड़ा मौका मिला है। यदि पूर्वांचल में भीम आर्मी का थोड़ा भी जनाधार बन जाता है तो यूपी चुनाव में इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।
2-पीएम नरेन्द्र मोदी को सीधे चुनौती देने वाली नेता की छवि
बनारस से चुनाव लडऩे का ऐलान कर चन्द्रशेखर ने पीएम नरेन्द्र मोदी को सीधी राजनीतिक चुनौती दी है। जबकि बसपा ऐसी चुनौती पूर्वांचल की कम सीटों पर दे रही है जिसका असर भी बसपा के वोटर पर पड़ सकता है। एक समय सदन में पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल कर बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजनीति में अलग जगह बनायी थी ऐसी ही जगह बनाने के चक्कर में भीम आर्मी चीफ बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं।
3-बसपा का सिंबल नहीं होने से वोटरों को होगी परेशानी
जिन सीटों पर गठबंधन के तहत बसपा चुनाव नहीं लड़ रही है वहां पर पार्टी का सिंबल नहीं होगा। बसपा के वोटर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होते हैं जिनके लिए सिंबल का बड़ा महत्व होता है। ऐसे में जहां पर बसपा का सिंबल नहीं होगा। वहां पर भीम आर्मी चीफ को पांव पसारने का मौका मिल सकता है।
4-बसपा के युवा वोटरों को रोकना होगा कठिन
भी आर्मी चीफ ने बसपा के युवा वोटरों में पैठ बनाने की ज्यादा कोशिश की है। यह युवा वोटर सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है जिसका फायदा भीम आर्मी चीफ उठाना चाहते हैं। युवाओं को ऐसा नेता पसंद आ सकता है तो विरोधियों को उसी भाषा में जवाब दे। ऐसे में भीम आर्मी चीफ ने खुद को इस भूमिका में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जिसका असर बसपा के वोटरों पर पड़ सकता है।
5-मायावती के खुद चुनाव लडऩे की संभावना कम, बनारस में लडऩे से चर्चा में रहेंगे चन्द्रशेखर
बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनाव लडऩे की संभावना कम है अभी तक मायावती ने चुनाव लडऩे को लेकर बड़ा खुलासा नहीं किया है जबकि भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर सीधे पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे जा रहे हैंं जिसको लेकर देश भर में चर्चा शुरू हो गयी है। बीएसपी की परेशानी का यह भी एक बड़ा कारण है। राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की कमान सौपी है और प्रियंका गांधी ने चन्द्रशेखर से भेंट किया था जिसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती की नाराजगी बढ़ गयी थी। ऐसे में मायावती कभी नहीं चाहेंगी कि भीम आर्मी को पूर्वांचल में अपना जनाधार बढ़ाने का मौका मिले।
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