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वाराणसी

अखिलेश यादव की रणनीति आयी काम, बसपा सुप्रीमो मायावती को उठाना पड़ा यह कदम

यूपी चुनाव 2022 से पहले बना नया समीकरण, जानिए क्या है नयी कहानी

वाराणसीNov 08, 2019 / 07:53 pm

Devesh Singh

Mayawati and Akhilesh Yadav

Mayawati and Akhilesh Yadav

वाराणसी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रण्नीति काम आयी है और बसपा सुप्रीमो को यह कदम उठाना पड़ा है। बसपा का नया दांव यूपी चुनाव 2022 से पहले बदलते समीकरण की कहानी बता रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा ने मिल कर चुनाव लड़ा था। महागठबंधन को अधिक सफलता नहीं मिल पायी थी लेकिन बसपा के सीटों की संख्या बढ़ गयी थी। इसके बाद यूपी मे हुए उपचुनाव में बसपा खाता तक नहीं खोल पायी है जबकि सपा ने तीन सीट जीत कर अपनी ताकत दिखायी।
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अखिलेश यादव ने जब मायावती की पार्टी बसपा से गठबंधन किया था तो कई सवाल उठे थे। किसी ने इसे राजनीतिक भूल कहा था तो किसी ने आत्मघाती निर्णय बताया था। अखिलेश यादव ने सारी बातों को नजरअंदाज कर बसपा से गठबंधन धर्म निभाया। चुनाव परिणाम में सपा को भले ही नुकसान हुआ और बसपा को फायदा हुआ था। पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर व अमित शाह की रणनीति ने प्रचंड बहुमत पाकर इतिहास रचा था जिसके चलते गठबंधन का असर काम नहीं आया। चुनाव परिणाम आने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने ही गठबंधन से अलग होने का निर्णय किया था। जनता में साफ संदेश गया कि अखिलेश यादव ने राजनीतिक लड़ाई छोड़ कर बसपा से गठबंधन किया था। अपने से गठबंधन भी नहीं तोड़ा।
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुलायम सिंह यादव पर से गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेने की तैयारी की
जिस गेस्ट हाउस कांड से सपा व बसपा में सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई शुरू हुई थी। मायावती उसी कांड का मुकदमा मुलायम सिंह यादव से वापस ले रही है। मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ्य को देखते हुए इस बात की बहुत कम संभावना है कि वह राजनीति में पहले की तरह सक्रिय रहेंगे। बसपा सुप्रीमो ने मुकदमा वापस लेने की तैयारी करके जनता में बड़ा संदेश दिया है कि अखिलेश यादव ने गठबंधन को लेकर जो पहल की थी उसी तरह की पहल गठबंधन टूटने के बाद बसपा भी कर रही है। उपचुनाव में जिस तरह से बीजेपी विरोधी वोट सपा को मिले हैं उससे यूपी चुनाव 2022 में मायावती को बड़ी चुनौती मिल सकती है। बसपा सुप्रीमो यह बात जानती है इसलिए उन्होंने मुकदमा वापस लेने की तैयारी की है, जिससे गठबंधन टूटने के बाद यादव वोटरों में बसपा को लेकर जो नाराजगी हो गयी थी वह कम हो सके। यदि ऐसा हुआ तो यूपी चुनाव में बसपा को बड़ा फायदा मिल सकता है।
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