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जलती चिता के सामने अजय राय ने खाई थी कसम… डरूंगा नहीं, डटा रहूंगा; बोले- भईया की रुद्राक्ष माला ने झुकने नहीं दिया

Mukhtar Ansari: Mukhtar Ansari: माफिया के साथ ही सरकारें और सिस्टम लगातार हमारे खिलाफ रहे, लेकिन अंसारी को उम्रकैद होना हमारे लिए न्याय की जीत है। अजय राय ने बताया- मैं 32 साल से लड़ता रहा, अब जीत मिली है। भईया की जलती चिता के सामने कसम खाई थी। डरूंगा नहीं, डटा रहूंगा।

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मुख्तार अंसारी को हुई उम्रकैद तो खुश हुए अजय राय

Mukhtar Ansari: सोमवार को वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद अवधेश राय के भाई अजय राय ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, माफिया के साथ हमेशा सरकारें और सिस्टम लगातार हमारे खिलाफ रहे, लेकिन अंसारी को उम्रकैद होना हमारे लिए न्याय की जीत है। अजय राय ने बताया- मैं 32 साल से लड़ता रहा, अब जीत मिली है। भईया की जलती चिता के सामने कसम खाई थी। डरूंगा नहीं, डटा रहूंगा और, अपराधियों को सजा दिलाकर ही दम लूंगा...। मेरे गले में पड़ी भाई की रुद्राक्ष की माला मुझे रोजाना यह एहसास कराती थी कि हत्यारों को हर हाल में सजा दिलानी है।

कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि बड़े भाई अवधेश की हत्या के बाद मेरे मां-पिता को गहरा सदमा लगा था। वह चारपाई पर आ गए और उन्हें याद करते हुए कुछ सालों बाद ही चल बसे। हमारा परिवार बिखर गया। भाई अवधेश ही परिवार के हर सदस्य की छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखते थे।

हत्या से पहले ही उनकी धर्मपत्नी और मेरी भाभी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से चल बसी थीं। उनकी फूल सी बेटी हनी जब भी हमारी ओर देखती थी तो हमें लगता था कि वह हमसे बस यही पूछ रही है कि चाचा, मेरे पापा के साथ गलत करने वालों को क्या कभी सजा मिलेगी...? फिर, कभी सरकार तो कभी सिस्टम की ओर से रोड़े अटकाए जाते थे, लेकिन मैं डरा नहीं।

मैं, अपने साथी गवाह विजय पांडेय और ड्राइवर कतवारू का भी आभारी हूं। दोनों तीन दशक से ज्यादा समय से तरह-तरह के दबाव झेल रहे हैं, लेकिन कभी विचलित नहीं हुए। मुश्किल समय में भी साथ खड़े रहे। आज बस इतना ही कहना है कि ईश्वर के घर में देर है, लेकिन अंधेर नहीं। न्यायालय में सत्य की जीत हुई है। असत्य पराजित हुआ है।

मेरे सामने मारी थी गोली, हमलावरों की वैन से ही ले गया अस्पताल
अजय राय ने कहा कि हम लोग मूल रूप से गाजीपुर जिले के जमनिया तहसील के मलसा गांव के निवासी हैं। पिता दिवंगत सुरेंद्र राय व्यापार के सिलसिले में बनारस आए और यहीं घर बनवाकर रहना शुरू कर दिया। सात भाई और एक बहन में अवधेश राय छठे नंबर पर थे। साल 1991 में हमारी उम्र लगभग 20 साल थी। हमने विद्यापीठ में दाखिला लिया था।

तीन अगस्त 1991 को भाई अवधेश, विजय पांडेय, चालक और कुछ अन्य लोगों के साथ हम लोग एक अस्पताल में भर्ती मरीज को देखकर वापस जिप्सी से चेतगंज स्थित अपने घर के सामने आकर रुके। हमारे घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर चेतगंज थाना है। जिप्सी से नीचे उतरते ही अचानक सफेद रंग की बिना नंबर की एक वैन आकर रुकी।

उससे मुख्तार अंसारी, भीम सिंह, कमलेश सिंह सहित अन्य लोग उतरे और फायरिंग करने लगे। गोली लगते ही अवधेश सड़क पर गिर गए तो हम अपनी लाइसेंसी पिस्टल से फायरिंग करते हुए बदमाशों के पीछे दौड़े। इस पर बदमाश अपनी वैन छोड़कर पैदल ही गलियों से होते हुए भाग निकले। हमने पीछा किया, लेकिन बदमाशों का पता नहीं लगा।