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9 साल पहले 2014 में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर थी। सभी राजनीतिक दल अपनी जड़ें मजबूत करने में लगे थे। कांग्रेस, बीजेपी, सपा अपनी बिसात बिछाने में लगे थे। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को मैदान में उतारा। उधर, कौमी एकता दल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी भी इसी सीट पर चुनावी टक्कर देने सामने आए। लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि अचानक ही वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मुख्तार ने फैसला बदल लिया।
11 अप्रैल 2014 को कौमी एकता दल की एक बैठक चुनाव से पहले हुई। कौमी एकता दल के अध्यक्ष व बडे भाई अफजाल अंसारी ने मुख्तार के वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की। इसके पीछे वजह थी कि मोदी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष मतदाताओं के वोट बंटने की स्थिति न बन सके। जिसके बाद मुख्तार घोसी सीट से चुनाव लड़े। वहीं, वाराणसी से चुनावी मैदान में मोदी के खिलाफ कांग्रेस से अजय राय और आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल रहे थे।
Updated on:
29 Mar 2024 04:27 am
Published on:
29 Mar 2024 04:26 am
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