हरहुआ डीह में फर्नीचर बनाने वाले होरीलाल विश्वकर्मा अपनी पत्नी जड़ावती, तीन पुत्र व चार पुत्रियों के साथ रहता है। परिवार की आर्थिक दशा बहुत अच्छी नहीं है। होरीलाल की एक पुत्री सोनी लकवे के कारण चलने-फिरने में असमर्थ थी। सोनी की मंा हृदय रोग से पीडि़त है। सबसे बड़ा बेटा राजू की परिवार की जिम्मेदारी उठा रहा है। बीते दिन सोनी की तबयत अचानक खराब हो गयी थी जिस पर मुस्लिम बस्ती के लोग उसे अस्पताल में भर्ती कराये थे। इलाज के दौरान सोनी की जान नहीं बची और उसकी मौत हो गयी। इसके बाद परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था। दु:ख के इस समय मुस्लिम भाई सबसे आगे आये और परिवार की मदद में जुट गये। सोनी को बहन मानते थे और जब सोनी की अर्थी घर से निकलने वाली थी तो कंधा देने मुस्लिम भाई भी पहुंच गये। अर्थी को कंधा देते हुए चल रहे मुस्लिम भाईयों ने राम नाम सत्य का उच्चारण भी किया। मुस्लिम भाईयों ने मणिकर्णिका घाट तक कंधा देकर अपनी बहन के अंतिम सफर को पूरा कराया। मानवता की इस सच्ची मिसाल की जानकारी जिसे भी हुई उसने यही कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब ही हमारे देश की मिसाल है। इस मिसाल को कायम रखने वालों में बब्बू हाशमी, अकबाल खां, सोनू खां, महबूब शाह, असलम शाह, भोला जायसवाल, अनवर उर्फ अन्नू आदि लोग शामिल थे।
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