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संस्कृत विश्वविद्यालय में आंदोलन बेअसर, वीसी आवास पर होती रही नियुक्ति

शिक्षकों ने विरोध में आवास के बाहर दिया धरना, जानिए क्या है कहानी

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संस्कृत विश्वविद्यालय में आंदोलन बेअसर, वीसी आवास पर होती रही नियुक्ति

संस्कृत विश्वविद्यालय में आंदोलन बेअसर, वीसी आवास पर होती रही नियुक्ति

वाराणसी. सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों का आंदोलन बेअसर साबित हुआ है। शिक्षकों ने परिसर में होने वाली नियुक्ति के विरोध में १८ दिन से आंदोलन किया हुआ है, लेकिन उसका कुछ असर नहीं हुआ। वीसी प्रो.यदुनाथ प्रसाद दूबे ने अपने आवास पर आराम से नियुक्ति के लिए इंटरव्यू किया।
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विश्वविद्यालय में शिक्षक, कर्मचारी व छात्रों का आंदोलन बेअसर साबित हुआ है। मंगलवार को भी परिसर का कामकाज प्रभावित रहा। छात्रों के दोनों गुटों ने अपनी मांग को लेकर धरना दिया। कर्मचारी भी सातवे वेतन आयोग के लिए धरना-प्रदर्शन में जुटे रहे। शिक्षकों ने नियुक्ति के विरोध में परिसर की जगह वीसी आवास के बाहर धरना दिया। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से वीसी प्रो.यदुनाथ प्रसाद दुबे के आवास पर भारी संख्या में फोर्स तैनात किया था। शिक्षक भी सुबह से लेकर शाम तक यहां पर डटे रहे, लेकिन उसका कुछ लाभ नहीं हुआ। जिन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था वह वीसी आवास पर पहुंचे और इंटरव्यू दिया।
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आखिर किस दिशा में जा रहा आंदोलन
परिसर में जारी आंदोलन किस दिशा में जा रहा है इस पर सवाल उठने लगे हैं। शिक्षकों ने नियुक्ति का विरोध किया है, लेकिन इंटरव्यू होने से उनके आंदोलन की हवा निकल गयी। छात्रों ने परिसर में आधारभूत सुविधाओं की मांग को लेकर धरना दिया है, जिसका भी कुछ लाभ नहीं हो रहा है। आंदोलन आरंभ हुए १८ दिन बीत गये हैं और अभी तक वीसी प्रो.यदुनाथ प्रसाद दुबे ने धरनास्थल पर जाकर छात्रों की समस्या नहीं सुनी। छात्रों के दूसरे गुट ने कक्षाओं के संचालन की मांग को लेकर आंदोलन किया है, जिसका असर होने वाला नहीं है। सभी शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं कक्षाओं का संचालन कौन करेगा। कर्मचारियों ने मुख्य रुप से तीन मांग को लेकर आंदोलन किया है, जिसमे स्थायी व मानदेय पर नियुक्त कर्मचारी को वेतन देने के साथ सातवां वेतन आयोग देने की मांग शामिल है। स्थायी कर्मचारियों को वेतन मिल गया है, लेकिन मानदेय कर्मचारियों की अभी जेब खाली है, जो जल्द ही भर सकती है। विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि यहां पर सातवां वेतन आयोग देने के लिए बजट की कमी है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन चाहेगा तो भी नया वेतनमान नहीं दे पायेगा। इससे साफ होता है कि परिसर में सभी लोगों का आंदोलन अभी तब बेअसर साबित हुआ है।
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