वाराणसी. कुलपति विहीन काशी विश्वविद्यालय में अराजकता, मारपीट, छींटा कशी, छेड़खानी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपमानित करने की घटनाएं आम हो गई हैं। इतना ही नहीं विरोध करने वाले को वर्ग विशेष के लोगों द्वारा पीट दिया जा रहा है लेकिन प्राक्टोरियल बोर्ड इस मामले में चुप्पी साधे रहता है। ऐसी ही एक घटना गुरुवार को कला संकाय के सामने चाय की दुकान पर हुई जहां कुछ छात्रों के गुट ने एक छात्र को पीट कर घायल कर दिया। घायल छात्र का ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है। बताया जाता है कि छात्र अविनाश की पिटाई सिर्फ इसलिए की गई कि वह मंगलवार को कला संकाय के वार्षिकोत्सव संस्कृति में नाथू राम गोडसे के विवादित नाटक के मंचन की शिकायत करने कला संकाय प्रमुख के यहां गया था।
बता दें कि कला संकाय के वार्षिकोत्सव संस्कृति के तहत गत मंगलवार को विवादित मराठी नाटक ” मी नाथू राम गोडसे बोलतोय ” के हिंदी संस्करण का मंचन किया गया। इस मामले में शोध छात्र और एनएसयूआई नेता विकास सिंह, रामायण पटेल, शारीरिक शिक्षा विभाग के बीपीएड के छात्र अनुराग आदि ने बुधवार को लंका थाने में तहरीर दी थी। उनकी मांग थी कि यह राष्ट्रपिता के अपमान का प्रकरण है जिसके लिए संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि देर रात लंका एसओ संजीव मिश्रा ने पत्रिका को बताया था कि तहरीर मिली है जांच चल रही है उसके बाद समुचित कार्रवाई की जाएगी।
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इसी प्रकरण में गुरुवार को छात्र अभिनाश ओझा कुछ दोस्तों के साथ कला संकाय प्रमुख के पास लिखित शिकायत लेकर गया था। बताया जाता है कि संकाय प्रमुख कार्यालय से निकल कर वह संकाय के सामने चाय की दुकान पर बैठ कर चाय पी रहे थे कि छात्रों का एक समूह पहुंचा और अविनाश को मारपीट कर घायल कर दिया। इस संबंध में आरोप है कि वे छात्र संघ से जुड़े थे। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। आरोप यह भी है नाटक के मंचन के खिलाफ तहरीर देने वालों को छात्रों को बुधवार से ही फ़ोन पर धमकियां मिलनी शुरू हो गयी थीं।वैसे इस मामले के उजागर होते ही विश्वविद्यालय परिसर और शहर भर में विश्वविद्यालय परिसर में संघ की विचारधारा को प्रचारित प्रसारित करने का आरोप लगने लगा है। इस मुद्दे पर छात्रो के कई गट इस लामबंद होने लगे हैं। यहां तक कि छात्र इस विवादित नाटक के मंचन के विरोध में आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।