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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का ऐलान, देश भर में होगी आदि विश्वेश्वर की प्रतीकात्मक पूजा

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को विद्यामठ में मीडिया के समक्ष ऐलान किया कि बहुत देश भर में आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा होगी। पूजा शुक्रवार से शुरू होगी। बताया कि इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इसके तहत हर गांव, हर मोहल्ले में पूजा कराई जाएगी। योजना को मूर्त रूप देने के लिए विद्यामठ के कार्यकर्ता देश के भर के गांव-गांव, शहर-शहर जाएंगे। कहा कि हम अपने धार्मिक दायित्व के निर्वहन से पीछे कतई नहीं हटेंगे।

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स्वामी  अविमुक्तेश्वरानंद

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

वाराणसी. ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को श्री विद्यामठ में मीडिया के समक्ष देश भर में आदि विश्वेश्वर की पूजा शुरू करने का ऐलान किया। उनहोंने बताया कि इसके लिए योजना तैयार कर ली गई है। योजना को मूर्त रूप देने के लिए हमारे कार्यकर्ता देश के हर गांव, हर शहर में जाएंगे और आदि विश्वेश्वर की प्रतीकात्मक पूजा कराएंगे। ये पूजा शुक्रवार से आरंभ होगी।

कलेक्टर के विरुद्ध करवाएंगे कार्रवाई

काशी के केदार घाट स्थित श्री विद्या मठ में मीडिया से मुखातिब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंगनुमा आकृति की सुरक्षा की जाए। दोनों पक्षों से बात हो और उनकी धार्मिक परिपाटी को सुनिश्चित हो। कहा कि बनारस के कलेक्टर को ज्ञानवापी में प्रकट हुए भगवान (शिवलिंगनुमा आकृति) की पूजा शुरू करा देना चाहिए था। लेकिन वो ऐसा नहीं करा सके। बताया कि हमने कलेक्टर से नोटिस के माध्यम से सवाल किया था वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं करा रहे हैं? उसके पश्चात सप्ताह भर तक जवाब की प्रतीक्षा की। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में अब हम स्वंतत्र हैं। अब वाराणसी के कलेक्टर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में कार्रवाई कराएंगे।

सनातनधर्मियों की भावना आहत

उन्होंने कहा कि हम अपने गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश से ज्ञानवापी में प्रकट हुए भगवान (शिवलिंगनुमा आकृति) की पूजा शुरू करने चाहते थे। लेकिन हमें बलपूर्वक हमारे मठ में ही रोक दिया गया। ये सौ करोड़ से अधिक सनातन धर्मियों की भावनाएं आहत हुईं। बताया कि हमने 108 घंटे तक अन्न-जल का त्याग किया। फिर गुरु की आज्ञा से अनशन समाप्त किया। अब अपने धार्मिक दायित्व को पूरा करने से कतई पीछे नहीं हटेंगे।