वाराणसी. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर 9 मार्च को 320 साल बाद कुंभ राशि पर पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण होगा। खगोलीय घटना का यह दुर्लभ नजारा ग्वालियर-चंबल संभाग में सिर्फ 12 मिनट दिखाई देगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी व ज्योतिष प. प्रसाद दीक्षित के अनुसार सिंहस्थ से पहले पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है। खंड ग्रास सूर्य ग्रहण फाल्गुन अमावस्या बुधवार 9 मार्च के दिन पड़ेगा। पश्चिमोत्तर भाग को छोड़ कर यह ग्रहण अंचल सहित पूरे देश में दिखाई देगा। इस ग्रहण का सूतक 8 मार्च को शाम 5.04 बजे से प्रारंभ होकर ग्रहण के मोक्ष के बाद समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण का स्पर्श 9 मार्च को सुबह 5.36 बजे, मध्य 6.10 बजे तथा मोक्ष 6.46 बजे होगा। ग्रहण का परम ग्रास 22 प्रतिशत रहेगा। अंचल में सूर्योदय 6.34 बजे होगा । लिहाजा अंचल में यह ग्रहण 12 मिनट ही दिखाई देगा। यह ग्रहण पूर्वाज भाद्र पक्ष नक्षत्र में साध्य योग, कुंभ राशि में स्थित चंद्र के साथ घटित होगा। इस समय आकाश में 5 ग्रह केतु, बुध, सूर्य, शुक्र और चंद्र साथ रहेंगे। इन ग्रहों पर शनि-युत मंगल की दृष्टि भी है। 9 मार्च को सूर्यग्रहण के बाद 23 मार्च को चंद्र ग्रहण पड़ेगा, जो 4 घंटा 15 मिनट का होगा। 9 मार्च को पडऩे वाले ग्रहण के लिए सूतक 8 मार्च को शाम 5.04 बजे लग जाएगा, यानि 8 मार्च को शाम 5 बजे से मंदिर के पट बंद होने केबाद दूसरे दिन सूर्यग्रहण की समाप्ति के बाद खुलेंगे। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट सुबह 05 बजे से 7.30 तक बंद रहेंगे। बुधवारका दिन, कुंभ राशि, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र तथा पांच ग्रहों के साथ ग्रह गोचर में गुरु-राहु का समसप्तक दृष्टि संबंध अनिष्टकारी माना जाता है।