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आखिर कब मिलेगा पूजा पाल को न्याय ?

अब तक चल रही सीबीआई जांच

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Sarweshwari Mishra

Jul 13, 2016

SP MLA Puja paal

SP MLA Puja paal

Sarveshwari Mishra
वाराणसी. बसपा विधायक पूजा पाल के कारनामे की जितनी तारीफ की जाय कम है। मात्र नौ दिन में विधवा हो गई पूजा पाल ने ऐसा कर दिखाया कि किसी महिला के लिए ये करना बहुत मुश्किल है। राजू पाल की मौत के बाद पूजा पाल एक दबंग लेडी विधायक बनी। शादी के नौ दिन के बाद पति राजू पाल की हत्या हो गई।

तबसे लेकर आज तक यह महिला अपने पति के आरोपियों को सजा दिलवाने में लगी हुई हैं। हालांकि अभी तक पूजा पाल को कोई न्याय नहीं मिल सका है लेकिन इन्होंने अभी हार नहीं मानी है। बसपा विधायक राजू पाल की मौत के बाद पूजा उनके आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए आज तक जंग लड़ रही हैं। राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद भी फंसे हैं। अतीक का इलाहाबाद में बोलबाला है। तो पूजा पाल भी इनसे कम नहीं हैं।

ये दबंग महिला विधायक न्याय के लिए अतीक अहमद का डटकर सामना कर रही हैं। 12 मई को इलाहाबाद के बहुचर्चित विधायक राजूपाल हत्याकांड में सीबीआई ने जांच शुरू की। सीबीआई टीम ने मर्डर प्वाइंट देखा और कई लोगों से पूछताछ की। जांच टीम राजूपाल की पत्नी बसपा विधायक पूजा पाल के घर भी गई और उनसे हत्या से जुड़े पहलुओं पर पूछताछ की। अभी भी सीबीआई जांच चल रही है पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। अब देखना यह है कि कब मिलता है पूजा पाल को न्याय।

न्याय की जंग लड़ रही पूजा
25 मई को विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल की गवाही को एक बार फिर कोर्ट में नहीं हो सकी। आठ मुल्जिमों के देर से पहुंचने और दो के न्यायालय में हाजिर न होने पर सुनवाई टल गई और चार जून की अगली डेट लगा दी गई। इसके बाद मुख्य गवाह उमेश पाल ने खुद बहस करते हुए अदालत से गुहार लगाई कि किसी भी तरह एक बार उनकी गवाही ले ली जाए। उनके सिर पर तलवार लटक रही है। किसी भी समय हत्या हो सकती है। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि अगली तिथि पर सभी मुल्जिम उपस्थित नहीं हुए तो अलग से उसकी गवाही दर्ज की जाएगी।

विधायक पूजा के साथ पहुंचा मुख्य गवाह
राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई तिथि होने के कारण विधायक पूजा पाल मुख्य गवाह उमेश पाल के साथ कचहरी पहुंचीं। विधायक के पहुंचते ही पीछे- पीछे बड़ी संख्या में उनके समर्थक कचहरी परिसर में पहुंच गए और गहमा- गहमी की स्थिति उत्पन्न हो गई। किसी भी तरह की स्थिति से निबटने के लिए भारी संख्या में फोर्स तैनात थी।

समय पर नहीं पहुंचे आरोपी
एडीजे 14 अरुण कुमार शुक्ला के न्यायालय में मुख्य गवाह उमेश पाल की गवाही होनी थी। इसके लिए दिन में साढ़े दस बजे ही मुख्य गवाह व अन्य लोग कोर्ट में पहुंच गए। अपर जिला न्यायाधीश भी कोर्ट में मौजूद थे। लेकिन, पूर्व सांसद अतीक अहमद समेत अन्य दस आरोपी कोर्ट में नहीं पहुंचे थे। इनका इंतजार होता रहा। करीब दो घंटे तक इंतजार के बाद 12.20 बजे आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद समेत आठ आरोपी कोर्ट में पहुंचे। दो आरोपी आसिफ मल्ली और दिनेश पासी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। जिस पर नाराजगी जताते हुए एडीजे ने दोनों के खिलाफ वारंट जारी करने का आदेश दिया व सुनवाई की अगली तिथि चार जून निर्धारित की। आदेश दिया कि अगर अगली पेशी में सभी आरोपी नहीं आते तो फाईल अलग कर गवाही कराई जाएगी।

अब तक लड़ रही न्याय की लड़ाई
25 जनवरी 2005 को शहर पश्चिमी से विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय शहर में जमकर बवाल हुआ था। धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत 11 लोगों को खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। धूमनगंज पुलिस के बाद जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई।

राजूपाल की पत्नी विधायक पूजा पाल इस जांच से संतुष्ट नहीं थीं और उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में सीबीआई जांच के आदेश दिए। जांच के लिए सीबीआई ने शहर में डेरा डाल दिया है। राजूपाल हत्याकांड से जुड़े साक्ष्यों व कागजात को इकठ्ठा करना भी शुरू कर दिया है। सीबीआई टीम सबसे पहले उस जगह पहुंची जहां राजू पाल पर गोली बरसाई गई थीं। वहां जांच के बाद टीम पूजा पाल के निवास पहुंची और पूछताछ की।


कैसे हुई थी राजू पाल की हत्या

वो दिन और सरेराह चली गोलियों की तड़तड़ाहट याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल एसआरएन अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस से दो गाड़ियों के काफिले में साथियों संग धूमनगंज के नीवां में घर लौट रहे थे तभी सुलेमसराय में जीटी रोड पर उनकी गाड़ी को घेरकर गोलियों की बौछार कर दी गई।
राजू पाल खुद क्वालिस चला रहे थे। उनके बगल में दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थी जो उन्हें चैफटका के पास मिली थी। इसी गाड़ी में संदीप यादव और देवीलाल भी थे। पीछे स्कार्पियो में ड्राइवर महेंद्र पटेल और ओमप्रकाश और नीवां के सैफ समेत चार लोग लोग थे। दोनों गाड़ियों में एक-एक शस्त्र सिपाही थे।

देर तक चली फायरिंग से इलाके में खलबली मच गई थी। राहगीर गिरते-पड़ते भागे। भागने की हड़बड़ी में तमाम गाड़ियां आपस में टकरा गई थीं। गोलियों की आवाज, चीख-पुकार, भगदड़ थमने तक में बेहद सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम दिया जा चुका था। भीड़ लगी और कुछ देर में धूमनगंज समेत कई थानों की पुलिस के साथ अफसर वहां पहुंचे। तब एसपी सिटी राजेश कृष्ण, एसएसपी सुनील गुप्ता और थानाध्यक्ष धूमनगंज परशुराम सिंह थे। विधायक राजू पाल के दर्जनों समर्थक वहां पहुंच गए।

जीटी रोड पर अमितदीप मोटर्स के पास घटनास्थल पर गोलियों से छलनी क्वालिस और स्कार्पियो से घायलों को बाहर निकाला गया। कई गोलियां धंसने से घायल राजू पाल समेत सभी लोगों को ऑटो के जरिए जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले जाया गया था। वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। शूटआउट में संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए थे। पुलिस ने राजू पाल का शव पोस्टमार्टम हाउस भेजा तो वहां से समर्थक विधायक का शव लेकर भागे और सुलेमसराय में चक्काजाम की कोशिश की। पुलिस बल ने किसी तरह शव छीना और दुबारा पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा दिया।

बसपा विधायक की हत्या से पूरे शहर में सनसनी फैल गई थी। विधायक राजू पाल की नवविवाहिता पत्नी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई अशरफ, करीबियों फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान, समेत नौ लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 302. 120 बीस 506 आईपीसी और सात सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया। अतीक अहमद तब फूलपुर से सपा सांसद थे। उनके भाई अशरफ को चार महीने पहले ही अक्तूबर 2004 में हुए शहर पश्चिमी विधानसभा के उपचुनाव में राजू पाल के हाथों पराजय झेलनी पड़ी थी।

दहशत भरे माहौल में आधी रात तक घटनास्थल से लेकर अस्पताल तक चीत्कार मची रही। राजू पाल के समर्थकों ने जगह-जगह विरोध और हंगामा शुरू कर दिया। उधर, पुलिस ने रात में ही पोस्टमार्टम कराकर दिवंगत राजू पाल के शव का दारागंज घाट पर गुपचुप ढंग से अंतिम संस्कार करा दिया।