अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग (rpsc ajmer) ने वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी (sr. scienific officer) (राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला) परीक्षा-2019 की उत्तरकुंजी पर आपत्ति मांगी है। अभ्यर्थी 11 से 13 नवंबर तक ऑनलाइन आपत्ति दे सकेंगे।
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सचिव रेणु जयपाल ने बताया कि आयोग (rpsc) ने 11 और 12 अक्टूबर को वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी (राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला) परीक्षा-2019 कराई थी। इसके तहत नारकोटिक्स (narcotics) एवं आर्सन एन्ड एक्सप्लोजिव (arson and exlposive), सेरोलॉजी (serology) और टॉक्सिकॉलोजी (toxicology) डिवीजन विषय की उत्तरकुंजी वेबसाइट पर जारी की गई है।
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ऑनलाइन देनी होगी आपत्ति
अभ्यर्थी इन उत्तरकुंजी पर निर्धारित शुल्क के साथ 11 से 13 नवंबर तक ऑनलाइन आपत्ति (online grievance) दे सकेंगे। जबकि 9 और 10 अक्टूबर तक कराई गई डॉक्यूमेंट डिवीजन, केमिस्ट्री, फिजिक्स, बैलेस्टिक, फोटो, बायलॉजी डिवीजन विषय की उत्तर कुंजी पर 4 से 6 नवंबर तक आपत्तियां दी जा सकेंगी। आयोग की वेबसाईट (webportal) पर उपलब्ध मॉडल प्रश्न पत्र (modal paper) के क्रमानुसार दी जा सकेंगी। परीक्षा के पेपर आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
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देश में मैकाले की जगह वैदिक शिक्षा पद्धति श्रेष्ठतम
मैकाले की शिक्षा पद्धति (macalay education) देश के लिए घातक साबित हुई है। इसके बजाय वैदिक शिक्षा पद्धति देश के लिए श्रेष्ठतम है। आर्य समाज (arya samaj) इसी दिशा में कार्यशील है। यह विचार ऋषि मेले में दयानन्द सरस्वती 136 वें बलिदान दिवस पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान सामने आए।
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आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रवाद विषय पर बोलते हुए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने युवाओं (youths) को राष्ट्रविरोधी बना दिया है। दो वर्ष पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राष्ट्रविरोधी भावनाओं के आन्दोलन ने जोर पकड़ा। यह देश के कई विश्वविद्यालयों तक पहुंच चुका है। वास्तव में यह चिंता का विषय है। साजिश के तहत भारत की संस्कृति, इतिहास, परस्पर प्रेम जैसे गुणों (qualities of india) को नष्ट कर दिया गया। अध्यात्मिक के बजाय अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। इन आधारों से राष्ट्रविरोधी भावनाएं भडक़ाई गई।