नारायणपुर में बसंत पंचमी से होली का उत्साह शुरू होता था, लेकिन बदलती जीवनशैली और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से यह उत्साह कम होता जा रहा है। पहले लोक कलाकार चंग धमाल के साथ होली मनाते थे, लेकिन अब यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है। आर्थिक दबाव और समय की कमी के कारण लोग अब होली के कार्यक्रमों में कम रुचि दिखा रहे हैं। युवा पीढ़ी भी लोककला से विमुख होती जा रही है, जबकि कुछ वृद्धों के प्रयासों से यह कला आज भी जीवित है। चंग धमाल की परंपरा अब केवल कुछ स्थानों पर ही बची है। युवाओं को इस लोककला को सहेजने के लिए आगे आना होगा, ताकि यह संस्कृति पुनर्जीवित हो सके। पिछले वर्षों में लोक कलाकार पेशेवर बन गए हैं, लेकिन नशे की समस्या और अन्य कारणों से फाल्गुन का उत्सव फीका पड़ता नजर आता है।