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अलवर में शंकराचार्य ने क्यों कहा कि राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा फिर से होगी, देखें ये वीडियो 

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अलवर आए हुए हैं। उन्होंने पत्रकारों के सभी सवालों का जवाब दिया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के समय बेहद चर्चित हुए थे। उन्होंने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे। वे गौ प्रतिष्ठा संकल्प यात्रा के तहत गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए लोगो को प्रेरित […]

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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अलवर आए हुए हैं। उन्होंने पत्रकारों के सभी सवालों का जवाब दिया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के समय बेहद चर्चित हुए थे। उन्होंने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे। वे गौ प्रतिष्ठा संकल्प यात्रा के तहत गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए लोगो को प्रेरित कर रहे हैं। 

राम मंदिर पर क्या बोले ?

उन्होंने कहा कि, जो सच जो बोलता है लोग उसे गाली देते हैं ये इतिहास है। हजारों साल का आप इतिहास उठा के देख लीजिए, केवल अपने देश का नहीं, हर देश का इतिहास है यह। क्योंकि लोगों में जड़ता इतनी छा जाती है कि उनको झूठ ही सच लगने लगता है। तब ऐसे समय में जब कोई सच बोलने के लिए आता है तो लोगों को समझ में नहीं आती है तो शुरू में उसका विरोध करते हैं, बाद में उसकी पूजा करते हैं। हमने जब विरोध किया तो हमको गालियां सुननी पड़ी। हमको लाखों लोगों ने गाली दी, लेकिन बाद में सबने कहा की शंकराचार्य सही बोल रहे है। 

उन्होंने कहा कि निर्माण पूरा हुए बिना प्रतिष्ठा होती ही नहीं है। जो धर्मशास्त्र है, वो स्पष्ट है, उसमें कोई व्याख्या की जरूरत नहीं है। बिना पूरा निर्माण हुए प्रतिष्ठा ही नहीं हो सकती है तो जब पूरा निर्माण हो जाएगा फिर से प्रतिष्ठा होगी, देख लेना। अभी तो एक इवेंट हुआ है। 

अलवर पावन भूमि

शंकराचार्य ने कहा कि कहा कि अलवर राजा भर्तृहरि की तपोभूमि रहा है। पांडवों ने भी अज्ञातवास का समय सरिस्का के जंगलों में बिताया। उनसे मिलने भगवान श्रीकृष्ण भी यहां आते थे। इस तरह यह बहुत ही पावन भूमि है। इस दौरान उन्होंने राजा भर्तृहरि के वैराग्य धारण करने की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा की जो जिससे सबसे अधिक प्रेम करता है अपना सब कुछ उसी को दे देता है। महाराजा ने भी यही किया अमर फल अपनी रानी को दे दिया।

कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जोशीमठ , उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के 46वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। वह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य थे और सितंबर 2022 में उनकी मृत्यु के बाद, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का कार्यभार संभाला।

रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान चर्चा में आये थे

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे और कहा था कि मंदिर में अगर प्रतिष्ठा हो रही तो मंदिर पूरा बना हुआ होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रों के खिलाफ है। साथ ही शंकराचार्य ने कहा था कि मंदिर भगवान का शरीर होता है, उसके अंदर की मूर्ति आत्मा होती है। मंदिर का शिखर भगवान की आंखें हैं। कलश भगवान का सिर है और मंदिर में लगा झंडा भगवान के बाल हैं। बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है।