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बांसवाड़ा

जीवनदायिनी माही की नहरों को दुरस्त करने के लिए मिला अल्प बजट, ऐसे तो सदियों तक ठीक नहीं होगा नहरी तंत्र

Canal System In Rajasthan : सुदृढ़ीकरण के नाम पर पर राज्य सरकार की ओर से मिल रही राशि अपर्याप्त

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बांसवाड़ा. जिले की जीवनदायिनी माही नदी पर बने माही बांध का साढ़े तीन दशक पुराना नहरी तंत्र खस्ताहाल हो गया है। इसके इस हाल में पहुंचने की वजह लगातार उपेक्षा है और यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर बना हुआ है। हजारों किमी लंबा समूचा नहरी तंत्र बदहाल हाल है और इसको दुरस्त करने के लिए एक हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन सरकार नहरों की मरम्मत के ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ जितना बजट देती रही है। आने वाले रबी सत्र में भी जर्जर नहरों में पानी दौड़ाया जाएगा और टेल के किसानों को पानी का इंतजार ही रहेगा। सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसा चलेगा और कब तक किसान कहीं पानी न मिलने से तो कहीं सीपेज से नुकसान के शिकार होते रहेंगे।

बांसवाड़ा : माही की खस्ताहाल नहरों से निकलकर घरों में घुसा पानी

इस बार बजट में सिर्फ 25 करोड़
माही बांध से 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई का लक्ष्य वर्षों पहले पूर्ण कर लिया गया, लेकिन मुख्य नहरों और इससे जुड़ा नहरी तंत्र बदहाली का शिकार है। नाबार्ड के सहयोग के मुख्य नहरों की मरम्मत जरूर कराई जा रही है, लेकिन माइनरों और वितरिकाओं के लिए बजट ही नहीं है। राज्य सरकार की ओर से इस बार बजट में हरिदेव जोशी आनंदपुरी नहर और भीखाभाई नहरी तंत्र के विकास, जल संग्रहण ढांचे, सिंचाई नहरों के रखरखाव व विस्तार कार्यों लिए मात्र 25 करोड़ रुपए दिए गए हैं।

एक हजार करोड़ की जरूरत
माही परियोजना के बांध व नहरों के कार्य साढ़े तीन दशक पहले पूर्ण हुए हैं। विभाग के अनुसार जर्जर नहरी तंत्र के कारण जल रिसाव की समस्या है और पानी का अपव्यय भी हो रहा है। परियोजना के आकलन के अनुसार संपूर्ण नहर प्रणाली के जीर्णोद्धार के लिए करीब एक हजार करोड़ की आवश्यकता है। बीते वर्षों में करोड़ों रुपए व्यय करने के बाद भी हालात नहीं बदले हैं और खमियाजा किसानों को सीपेज से खेतों के दलदली होने और टेल तक पानी नहीं पहुंचने से भुगतना पड़ रहा है।

यह है नहरी तंत्र
1. दांयी मुख्य नहर मय कंठाव माइनर की कुल लम्बाई क्रमश: 71.72 किलोमीटर व 28.15 किमी है। इसकी वितरण प्रणाली की कुल लम्बाई 722.49 किमी है, जिसका कुल सीसीए 35940 हैक्टेयर है।
2. बांयी मुख्य नहर की कुल लम्बाई 36.12 किलोमीटर है। इसकी वितरण प्रणाली की कुल लम्बाई 870.42.84 किमी है, जिसका कुल सीसीए 30990 है।
3. भूंगड़ा मुख्य नहर की लंबाई 39.90 किमी है। मुख्य नहर व वितरण प्रणाली की कुल लम्बाई 57.18 किमी है और इसका कुल सीसीए 3490 हैक्टेयर है।
4. हरिदेव जोशी नहर (आनंदपुरी नहर) की कुल लंबाई 141.49 किमी है और लाभान्वित क्षेत्र नौ हजार हैक्टेयर है। करजी लिफ्ट से 580 हैक्टयेर क्षेत्र सिंचित है।
5. भीखाभाई सागवाड़ा नहर की कुल लंबाई 120.84 किमी और लागत 340 करोड़ आंकी गई है। डूंगरपुर जिले के आसपुर, सागवाड़ा, सीमलवाड़ा के 140 गांवों की 27 हजार से अधिक हैक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। इसकी छह लघु सिंचाई परियोजनाओं में से पांच पूर्ण हो चुकी हैं।

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अब तक इतनी राशि खर्च
वर्ष 2013-14
64.91 लाख बजट घोषणा के तहत आवंटित
52.17 लाख की तकनीकी मंजूरियां
112 कार्य कराए

वर्ष 2014-15
20 करोड़ आवंटित, कार्य कराए गए

वर्ष 2015-16
110 करोड़ की बजट घोषणा

वर्ष 2018-19
15895.93 नाबार्ड से लाख की मंजूरी हुई। कार्य चल रहे हैं
4325.21 लाख हरिदेव जोशी केनाल और रोहनिया माइनर के लिए मंजूर
1608.14 लाख रुपए व्यय किए
1316.03 लाख रुपए बांयी मुख्य नहर समें 15 किमी से टेल व छींच वितरिका पर खर्च
1037.4 लाख दांयी मुख्य नहर, नरवालीवितरिका व माही साइफन पर मई अंत तक खर्च

इनका कहना है
नाबार्ड के तहत मिली राशि से मुख्य नहरों का काम हो रहा है। माइनर और वितरिकाएं काफी बड़े इलाके में फैली हैं। पुरानी होने से इनकी मरम्मत के लिए बजट की आवश्यकता को लेकर राज्य सरकार को पहले पत्र भेजे गए हैं और पुन: पत्र भेजेंगे।
प्रहलाद खोईवाल, अधीक्षण अभियंता, माही परियोजना