बांसवाड़ा. बांसवाड़ा शहर के बाहुबली कॉलोनी स्थित नवनिर्मित मुनि सुव्रतनाथ भगवान जिनबिम्ब पंचकल्याणक, गुरु मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ के आयोजनों के तहत शोभायात्रा निकाली गई।
इसके उपरांत प्रतिष्ठा में पात्रों का चयन कार्यक्रम हुआ।इससे पूर्व कॉलोनी दिगम्बर जैन मंदिर से मुनि विकसन्त सागर और आवश्यक सागर महाराज के सानिध्य में शोभायात्रा निकली, जो क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से होती हुई संत भवन के समीप बने सभास्थल पर पहुंची। बड़ी संख्या में समाजजनों ने शोभायात्रा में शिरकत की। इसके पश्चात कार्यक्रम स्थल पर मंगलाचरण में आचार्य सुनीलसागर एवं आचार्य विरागसागर के चित्र अनावरण किया गया। श्रद्धालुओं ने उपस्थित मुनि विकसन्त सागर और आवश्यक सागर पाद प्रक्षालन किया। कार्यक्रम में शामिल होने समाज के 72 गांवों से श्रद्धालु पहुंचे।
बेटियों ने मोहा मन, श्रद्धालुओं ने किया गुप्तदान
कार्यक्रम के शुभारंभ में भजन पर समाज की आठ बेटियों ने नृत्य प्रस्तुति दी। धार्मिक आस्था से ओतप्रोत प्रस्तुति ने वहां उपस्थित सैकड़ों समाजजनों को धार्मिक आस्था से लबरेज कर दिया। कार्यक्रम के दौरान जैन समाजजनों ने गुप्तदान किया। यहां श्रद्धालुओं द्वारा चांदी का छत्र, रजत कलश, महामंडल, सिंहासन, पंचमेरू, पूजन बर्तन और चंवर सहित कई वस्तुएं गुप्तदान के रूप में दी गईं।
बोली नहीं, आस्था और किस्मत से कलश स्थापना का मौका
प्रतिष्ठा महोत्सव कमेटी महामंत्री राजेंद्रप्रसाद भरड़ा ने बताया कि महोत्सव के तहत शिखर स्थापना को लेकर समाजजनों की ओर से बोली व्यवस्था नहीं लागू की गई। बल्कि समाज के आर्थिक रूप से अक्षम लोगों को भी मौका मिले इसलिए कूपन सिस्टम लागू किया गया ताकि समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को शिखर स्थापना करने का अवसर प्राप्त हो सके। कूपन के लिए भी काफी सहज दरें निर्धारित की गईं। इसके लिए कार्यक्रम में कूपन का विमोचन किया गया।
इनको मिला सौभाग्य
प्रतिष्ठा महोत्सव में मूलनायक श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान की पदमासन मूर्ति के दातार पुण्यार्जक सुरेश सिंघवी, आदिसागर महाराज के कन्हैयालाल सेठ, महावीर कीर्ति महाराज के विनोद दोसी, विमल सागर महाराज के संतोष पालविया, सन्मति सागर महाराज की खडगासन के पुण्यार्जक बलभद्र जगावत बने। वहीं, प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान के माता-पिता – महिपाल शाह, सौधर्म इंद्र – पंकज वगेरिया, कुबेर इंद्र – सुरेश सिंघवी, यज्ञ नायक- बलभद्र जगावत, ईशान इंद्र- महिपाल मेदावत, सनतकुमार इंद्र – कमल सारगिया, माहेन्द्र इंद्र – कन्हेयालाल सेठ, ब्रम्ह इंद्र- विपिन शाह, ब्रह्मोत्तर इंद्र- लक्ष्मीलाल नायक, लावंत इंद्र- पवन पंचोरी, कापिष्ठ इंद्र-नरेंद्र चित्तौड़ा, शुक्र इंद्र-भूपेंद्र भरड़ा, महाशुक्र इंद्र- हेमंत सेठ, शतार इन्द्र-इंद्रमल दोसी, सहस्त्रार इंद्र-कमलेश डागरिया, आनत इंद्र- राजेश मुगडिय़ा, प्राणत इंद्र- अभिषेक मानमल पंचोरी, आरण-महिपाल शाह, अच्युत इंद्र-मुकेश घाटलिया एवं प्रकाश मेहता, मंगल कलश स्थापना का सौभाग्य राजेंद्र भरड़ा को मिला। चयन बोलियों द्वारा हुआ। कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य भागचंद पंडित के निर्देशन में हुआ। आभार महेंद्र वोरा ने व्यक्त किया।