राजकुमार मीना……
बस्सी.जयपुर जिले के बस्सी उपखण्ड में टमाटर की बम्पर पैदावार होती है, यहां से पंजाब, हरियाण, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली व आगरा सहित देश के कई हिस्सों में बिकने के लिए जाता है, यदि इन टमाटरों से बस्सी में ही उत्पाद बनाए जाए तो टमाटर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी दे सकता है, लेकिन ना तो स्थानीय व्यापारी इस ओर कदम उठा रहे हैं और ना ही सरकार। बस यहां के टमाटर पैदा करने वाले किसानों को इसकी उपज का मूल्य मिल जाता है और कृषि विपणन बोर्ड को टमाटर मण्डी के माध्यम से टैक्स मिल जाता है। जबकि यहां से विभिन्न प्रदेशों में भेजा जाने वाले टमाटरों का शॉस, सूप, ज्यूस, प्यूरी, पेस्ट, केचप सहित कई उत्पाद बनाए जाते है। यदि टमाटरों के इन उत्पादों को बनाने वाली फैक्ट्रियां यहीं लग जाए तो किसानों को भी उचित दाम मिल सकते हैं और उत्पादों की फैक्ट्रियाें में लोगों को रोजगार भी मिलेगा। वहीं इससे बनने वाले उत्पादों को बाजार में बेचने से भी रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। देशी व हाइब्रिड किस्म का होता है टमाटर… बस्सी उपखण्ड में दो किस्म का टमाटर पैदा होता है। यहा नवम्बर से फरवरी माह में देशी टमाटर होता है। देशी टमाटर में खटास अधिक होता है। यह दूसरी किस्म के टमाटरों से स्वादिष्ट होता है। मार्च से मई माह में हाइब्रिड टमाटर की पैदावार जाती है। मण्डी व्यापारियों की माने तो सर्दी में प्रतिदिन तीन-तीन हजार कैरिट टमाटर बाहर भेजा जाता है तो गर्मियों में प्रतिदिन पांच-पांच हजार कैरिट भेजी जाती है। इन गांवों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है टमाटर… ढिंढोल, अचलपुरा, किशनपुरा, पील्या, कचौलिया, खतैपुरा, पांचोल्या, नयागांव, रामसिंहपुरा सहित दर्जनों गांवों में किसान भूमि के 80 फीसदी हिस्से में टमाटरों की पैदावार करते हैं। बस्सी मण्डी में सुबह नहीं दोपहर बाद टमाटरों की मण्डी लगती है। टमाटरों को खरीदने के लिए यहां बाहर से व्यापारी आते हैं। इन उत्पादों का है बाजार… ऐसा कोई होटल, ढाबा, ठेला नहीं है, जिस पर टमाटरों का सॉस काम नहीं आता है। वहीं शॉस, सूप, ज्यूस, प्यूरी, पेस्ट, केचप आदि हर होटल, ढाबे, घरों में काम आता है। टमाटरों से बनने वाले उत्पाद का बड़ा मार्केट है। बड़े मार्केट में रोजगार भी बड़े पैमाने पर है। बस्सी में इन टमाटरों से बनने वाले उत्पादों की फैक्ट्रियां स्थापित हो जाए तो बस्सी ही नहीं आसपास के इलाके लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़े। बस्सी का टमाटर की सब्जी में डालने के लिए भी खासी डिमाण्ड है। यहां के देशी टमाटर से सब्जी का स्वाद ही बदल जाता है। फैक्ट फाइल…. सर्दी का टमाटर: नवम्बर से फरवरी तक -प्रतिदिन 3 हजार कैरिट -3 करोड़ का कारोबार -10 लाख का टमाटर प्रतिदिन जा रहा बाहर -2 माह चलता है सीजन गर्मी का टमाटर: मार्च से मई तक -प्रतिदिन 5 हजार कैरिट -6 करोड़ का कारोबार -20 लाख का टमाटर प्रतिदिन जाता है बाहर -2 माह चलता है सीजन इनका कहना है… टमाटर उत्पाद फैक्ट्रियां लगवाने की करेंगे पहल….. बस्सी इलाके में बड़ी तादात में टमाटरों की पैदावार होती है। दो सीजन में यहां टमाटर होता है। यह सही है कि यदि यहीं पर टमाटरों से बनने वाले उत्पादों की फैक्ट्रियां लग जाए तो रोजगार के आयाम बढ़ सकते हैं। इसके लिए वे पहल करेंगे। -सीताराम पोटल्या, अध्यक्ष टमाटर मण्डी बस्सी यहां फैक्ट्रियां लग जाए तो मिले लोगों को रोजगार….. बस्सी में दोनों सीजन में करोड़ों का टमाटर बाहर के प्रदेशों में भेजा जाता है। हालांकि टमाटरों से बनने वाले उत्पाद की यहां भी फैक्ट्री लग सकती है। यहां टमाटर मण्डी पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। -नरसी लाल, थोक व्यापारी टमाटर मण्डी बस्सी