चित्तौडग़ढ़
निकटवर्ती मानपुरा में अवैध खनन के लिए किए जा रहे ब्लास्टिंग से मानपुरा थर्रा रहा है पर जिम्मेदार महकमें के अधिकारी सोये हुए हैं। क्षेत्र के लोगों में भी ब्लास्टिंग और अवैध खनन को लेकर आक्रोश व्याप्त हैं।
जानकारी के अनुसार विश्व विरासत में शुमार चित्तौड़ दुर्ग के स्मारकों को किसी तरह से नुकसान नहीं हो, इसलिए दुर्ग से दस किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह का खनन करने की मनाही है। एनजीटी भी इस पर रोक लगा चुकी हैं। इसके बावजूद यहां ट्रैक्टर कम्प्रेशन के जरिए अवैध रूप से खनन कर पत्थर निकाला जा रहा है। अवैध खननकर्ता यहां इतनी खुदाई करवा चुके हैं कि बहुत बड़ा क्षेत्र छलनी हो चुका हैं। हालाकि बारिश के दिनों में यहां पानी भरने से स्वत: ही अवैध खनन पर रोक लग जाती है। यहां तक कि मानपुरा के खनन क्षेत्र में खनन विभाग की ओर से चेतावनी बोर्ड भी लगाया हुआ है, जिस पर स्पष्ट लिखा है कि दुर्ग की बाहरी सीमा से एक किलोमीटर परिधि में खनन कार्य प्रतिबंधित है। एक से दो किलो मीटर परिधि में मानवीय श्रम से तथा दो से दस किलोमीटर परिधि में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दी गई है, लेकिन ब्लास्टिंग पर पूर्णत: प्रतिबंध है।
इस चेतावनी बोर्ड को दरकिनार करते हुए यहां दिन-रात ट्रैक्टर कम्प्रेशर लगाकर ब्लास्टिंग किए जा रहे हैं। इससे क्षेत्र में कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की भी इनकार नहीं किया जा सकता। खनन विभाग के अधिकारियों की सीधे तौर पर जिम्मेदारी तय है कि अवैध खनन कहीं भी हो रहा हो तो उसे रोकने के साथ ही संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए, लेकिन कार्रवाई तो दूर, विभाग के अधिकारी मानपुरा क्षेत्र में जाकर निरीक्षण तक नहीं करते। हालत यह है कि अवैध खनन के चलते पास से ही गुजर रही गंभीरी नदी और खनन क्षेत्र के बीच की दूरी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।