नेड़च पंचायत के दाड़मी की भागल निवासी अंबालाल मेघवाल व उनकी नेत्रहीन पत्नी कंकूबाई समाज और सरकारी योजनाओं के हाशिये पर पड़े होने का सटीक उदाहरण है। कंकू की दोनों आंखें खराब हैं। वह घर का कोई काम नहीं कर पाती, वृद्ध अम्बालाल भी जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं, उसके बाद भी पत्नी की सेवा से लेकर गृहस्थी का पूरा काम उनके जिम्मे हैं। दम्पती बीपीएल से भी नीचे अन्त्योदय श्रेणी में हैं। उनका राशन कार्ड भी बना है, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों ने उनके रहने के लिए आज तक एक घर तक नहीं बनवाया। देश-प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन का डंका बजा, लेकिन उनके लिए शौचालय तक नहीं बना। घर में बिजली नहीं है, जिन्दगी अंधेरे में कट रही है। पूरी तरह बेसहारा अंबालाल की उम्र राशन कार्ड में 6 8 वर्ष दर्ज है। हालांकि देखने में उम्र 8 0 से कम नहीं लगती। वह ज्यादा चल फिर नहीं पाते, पत्नी नेत्रहीन होने तथा बीमार रहने से कोई काम नहीं कर पाती। यहां तक कि वह शौचादि के लिए भी कमरे से बाहर नहीं जा पाती हैं। ऐसे में वह कमरे में ही शौच करती हैं। अन्त्योदय का राशनकार्ड है, अगर कोई उन्हें राशन लाकर दे देता है तो ठीक, नहीं दे तो वह दुकान तक जाकर खुद राशन भी नहीं ला पाते। बारिश में बढ़ जाती है समस्या अंबालाल ने बताया कि बारिश के दिनों छप्पर जगह-जगह से टपकता है, अंदर पानी भर जाता है, सोने के बिस्तर, आटा सब भीग जाते है। दो बकरियां हैं, जिन्हें बाहर बांधने पर पैंथर का शिकार होने का डर रहता है। ऐसे में इन्हें भी अंदर ही बांधना पड़ता है। अंधेरे में रहता है सांप-बिच्छू का डर अन्त्योदय सूची में शामिल अंबालाल के घर में विद्युत कनेक्शन तक नहीं है। उन्होंने बताया कि घर में कोई दौड़धूप करने वाला नहीं है, इससे बिजली तक नहीं है। अब केरोसिन भी नहीं मिलता है, जिससे शाम ढलते ही अंधेरा पसर जाता है। बारिश का मौसम होने से रात में सांप-बिच्छू का डर बना रहता है। दरवाजा खोलते ही बदबू से घुटता है दम खाना-पाखाना, मवेशी सब एक ही झोंपड़े में रहने से बदबू से भरी रहती है। झोंपड़े के अंदर सांस लेना भी मुश्किल होता है। ऐसे में वहां रहने की साधारण इंसान तो कल्पना भी नहीं कर सकता है। इधर पूरे मामले में नाथद्वारा एसडीएम निशा अग्रवाल का कहना है कि ऐसे दम्पती की मुझे कोई जानकारी नहीं है। टीम भेजकर पता करवाती हूं। सरकार की ओर से संचालित योजनाओं को उन्हें शीघ्र ही लाभ दिलवाएंगे।