जैसलमेर/लाठी. मरुभूमि का कल्पवृक्ष माने जाने वाले जिस खेजड़ी के पेड़ को बचाने के लिए सिर साटे रूंख रहे तो भी सस्तौ जांण यानी अगर सिर कटने से वृक्ष बच रहा हो तो भी यह सस्ता सौदा है, जैसी बात कही गई और 17वीं शताब्दी में सैकड़ों लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था, उस राज्य वृक्ष खेजड़ी सहित हरे-भरे पेड़ों की सीमावर्ती जैसलमेर जिले में धड़ल्ले सौर ऊर्जा उत्पादन के काम में जुटी कम्पनियों की ओर से बलि दी जा रही है। इससे पर्यावरण प्रेमी गहरे सदमे में हैं और जिम्मेदारों की तरफ से अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने से उनमें आक्रोश व्याप्त हो रहा है। एक तरफ सरकार प्रतिवर्ष पौधरोपण को लेकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीं वर्षों पुराने पेड़ों को जड़ सहित उखाड़ कर उन्हें जलाने का काम कम्पनियों की तरफ से किया जा रहा है। जिले के फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र में निजी कंपनियां सोलर ऊर्जा के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लगा रही है। इसके लिए उनके ठेकेदार व कार्मिक इलाके में लगे हरे-भरे पेड़ों को काट कर उन्हें आग के हवाले करने से कतई नहीं हिचक रहे। इन पेड़ों को काटे जाने का ग्रामीण विरोध भी कर रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। पर्यावरण प्रेमियों ने इस संबंध में वन विभाग और जिला व पुलिस प्रशासन आदि को पत्र भी लिखे हैं।