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जांजगीर चंपा

Video Gallery : सूखते फसल को बचाने 1500 रुपए प्रति एकड़ बोर से पानी खरीदने मजबूर किसान

किसानों ने बताया कि उनकी ५० फीसदी फसल सूखकर मर चुके हैं। शेष बचे फसल को मरने से बचाने के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करने मजबूर हैं।

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जांजगीर-चांपा. ८८ प्रतिशत रकबे को नहर से सिंचाई करने वाले जिले के किसान अपनी फसल को बचाने के लिए १५०० रुपए प्रति एकड़ बोर से पानी खरीदने मजबूर हैं। दरअसल मालखरौदा ब्लाक के ग्राम बंदोरा, आमनदुला क्षेत्र में सिंचाई के लिए फैले नहर का पानी टेल एरिए तक नहीं पहुंच पा रहा है। इस कारण किसानों को हर तरह की कोशिशें करनी पड़ रही है। इसके बाद भी किसानों को राहत नहीं मिल रही। जबकि किसानों ने अपनी पीड़ा सिंचाई विभाग के अफसरों को बता चुके, इसके बाद भी विभागीय अफसर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

एक ओर विधानसभा चुनाव में परवान चढ़ रहा है, नेता टिकट मांगने के साथ साथ वोट मांगने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर अफसर चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं किसान वर्ग के लोग अपनी छह माह की खड़ी फसल को बचाने के लिए एक-एक बंूद पानी की व्यवस्था करने में लगे हैं ताकि उनकी डूबती फसल को तिनके का सहारा मिल जाए।

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Video Gallery : सूखते फसल को बचाने 1500 रुपए प्रति एकड़ बोर से पानी खरीदने मजबूर किसान

हद तो तब हो जा रही है जब किसानों को पानी भी खरीदना पड़ रहा है। जिनके पास बोर की सुविधा है वे महंगे कीमत में पानी की बिक्री कर रहे हैं। जबकि जिले में ८८ प्रतिशत रकबे में सिंचाई सुविधा के लिए नहर का जाल फैला है। यानी दो लाख ६० हजार हेक्टेयर में कम से कम दो लाख ४० हजार हेक्टयर में नहर से सिंचाई सुविधा मिलनी चाहिए। कुछ इसी तरह की समस्या से मालखरौदा क्षेत्र के ग्राम बंदोरा आमनदुला के किसानों को दो-चार होना पड़ रहा है।

क्षेत्र के किसान सनत कुमार सूर्यवंशी, ज्योतिष गबेल, मनहरण सूर्यवंशी, हेमप्रसाद, फूलचंद ने बताया कि उनके गांव के भर्री खार में १५०० एकड़ में धान की फसल लगी है। जिसमें सिंचाई के लिए नहर का पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसके चलते फसल सूख रही है। अब फसल को बचाने के लिए उन्हें हर तरह की कवायद की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके पास बोर की सुविधा है उनसे संपर्क कर १५०० रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से बोर का पानी खरीद रहे हैं और जैसे तैसे सिंचाई कर रहे हैंए ताकि उनकी छह महीने के मेहनत की कमाई डूब न जाए।

रतजगा कर रहे किसान
जिले में अमूमन सभी इलाकों में पानी की किल्लत किसानों को परेशान कर दिया है। पानी के लिए किसान रतजगा करने मजबूर हैं, लेकिन नहर से पानी नहीं जा रहा है। कई इलाके ऐसे हैं जहां नहर का लेवल नीचे होने के कारण पानी ऊपर के खेतों में नहीं जा रहा है। किसान नहर से पानी लेने के लिए बोर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह के हालात डभरा ब्लाक के गांव सपिया, मेकरी, फगुरम की ओर है। जहां किसान अपने खेतों को सिंचाई करने के लिए तालाबों से पानी ले रहे हैं। जब तालाब का पानी सूख रहा है तब वे नहर के पानी को बोर के माध्यम से खेतों तक पहुंचा रहे हैं। सपिया के किसान सत्यनारायण राठौर ने बताया कि उसने आठ एकड़ में फसल लगाई है। जहां पानी नहीं होने के कारण तालाब का पानी इस्तेमाल किए। अब तालाब का भी जल स्तर कम होने के कारण अब मोटरपंप के माध्यम से नहर से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। इसके चलते उन्हें रतजगा करना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें एक से दो हजार रुपए खर्च आ रहा है।

इसलिए कर रहे हैं खर्च
किसानों ने बताया कि उनकी ५० फीसदी फसल सूखकर मर चुके हैं। शेष बचे फसल को मरने से बचाने के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करने मजबूर हैं। ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब तक उन्होंने एक एकड़ में फसल लगाकर पांच से सात हजार रुपए खर्च कर चुके हैं। जिसमें रोपा लगाई, खाद, मजदूरी, कीटनाशक दवा छिड़काव का खर्च शामिल है। यदि इतना खर्च करने के बाद भी फसल सूखे की चपेट में पड़ जाएगी तो पांच से सात हजार रुपए भी डूब जाएंगे। ज्ञात हो कि क्षेत्र के किसानों को बीते वर्ष कीट प्रकोप ने परेशान किया था। २५ फीसदी किसान अपनी खड़ी फसल को मवेशियों के हवाले कर दिया था। क्योंकि बीते वर्ष किसानों को कीटप्रकोप ने परेशान किया था। वहीं इस वर्ष किसानों को पानी की समस्या के चलते परेशान होना पड़ रहा है।

-खेतों में नहर से सिंचाई के लिए मैदानी अमले को अलर्ट किया गया है। जहां टेल एरिया में पानी नहीं पहुंच पा रहा है वहां कर्मचारियों को भेजकर समस्या दूर कराई जा रही है – एसएल यादव, ईई सिंचाई विभाग