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यहां प​क्षी प्रेमियों को मिली सबसे बड़ी खुशी

झालावाड़ जिले में तीन और तालाब वेटलैंड घोषित, पक्षियों को मिलेगा संरक्षण

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पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों लिए अच्छी खबर है। हाल ही में झालावाड़ जिले के तीन तालाबों को वेटलैण्ड घोषित किया गया है। इनसे पहले बड़बेला तालाब जिले का पहला वेटलैंड है। अब असनावर रेंज में कदीला, अकलेरा रेंज में दलहनपुर व झालावाड़ रेंज में मूंडलियाखेड़ी तालाब को भी वेटलैंड घोषित किया है। इसकी अधिसूचना जारी हो गई है। मूंडलियाखेड़ी तालाब सिंचाई विभाग के अधीन है, बाकी दोनों तालाब वनभूमि पर है। नए वेटलैंड घोषित होने से अब जिले में पक्षियों को पर्याप्त संरक्षण मिलेगा। चारों तालाबों की देखरेख वन विभाग करेगा। यहां पक्षियों के संरक्षण के लिए कई कार्य किए जाएंगे।

 

जानकारी के अनुसार टांडी सोहनपुरा पंचायत के अधीन कदीला तालाब 208.20 हैक्टेयर में फैला हुआ है। वहीं दलहनपुर तालाब 10.10 हैक्टेयर व मूंडलियाखेड़ी तालाब 382 हैक्टेयर में फैला हुआ है। इन तालाबों पर शीत ऋ तु में बड़ी तादाद में प्रवासी व अप्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। वेटलैंड घोषित होने के बाद अब इन तालाबों का संरक्षण हो सकेगा। इनके लिए अलग से बजट मिलेगा और वन विभाग की देखरेख में सीमांकन कर यहां कई विकास कार्य कराए जाएंगे। तालाब में हो रही अवैध गतिविधियों पर अंकुश लग सकेगा। पक्षियों को सुरक्षित घर मिल सकेगा।

इसलिए घोषित किया वेटलैंड

सहायक वन संरक्षक संजय शर्मा ने बताया कि जिन तालाबों में सालभर पानी रहता है और पेटे में दलदली भूमि होती है, उन्ही तालाबों को वेटलैंड घोषित किया जाता है। ऐसे तालाबों में पक्षियों के लिए पर्याप्त भोजन होता है। ऐसे में पक्षी यहां माउंड बनाकर रहते हैं। वेटलैंड्स राज्य में पारिस्थिकीय तंत्र को मजबूत करेंगे। इनसे वन्यजीवों के लिए बेहतर खाद्य श्रृंखला उपलब्ध हो सकेगी। पृथ्वी की किडनी माने जाने वाले वेटलैंड्स प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं जल संचयन व शुद्धिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

 

ये तालाब भी पक्षियों की शरणस्थली

जिले में गोरधनपुरा, खंडिया, गांवड़ी, गोमती सागर, मंडावर व रीछवा का तालाब भी पक्षियों की शरणस्थली के रूप में जाने जाते हैं। यहां भी पक्षियों के लिए पर्याप्त भोजन सहित सुरक्षित वातावरण है। भविष्य में ये तालाब भी वेटलैंड की श्रेणी में आ सकते हैं।

 

ये गतिविधियां रहेगी प्रतिबंधित

अधिसूचना के अनुसार आद्रभूमि क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण पर रोक रहेगी । यहां किसी भी प्रकार का नया उद्योग स्थापित करने एवं मौजूदा उद्योगों के विस्तार पर प्रतिबंध रहेगा। इसी के साथ ठोस, खतरनाक व ई.अपशिष्ट पदार्थों के संग्रहण एवं निष्कासन पर प्रतिबंध रहेगा। मछलियों एवं प्रवासी पक्षियों को आमजन की ओर से दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध रहेगा। वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन के साथ क्रशिंग इकाइयों पर भी प्रतिबंध रहेगा। शिकार पर भी प्रभावी रोक रहेगी। आद्रभूमि के क्षेत्र एवं क्षमता को कम करने वाली गतिविधियों सहित प्रदूषण उत्सर्जन करने वाली समस्त वाणिज्यिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। किसी भी प्रकार की भूजल निकासी प्रतिबंधित होगी। अधिसूचना के अनुसार वेटलैंड्स क्षेत्र में मछली पालन, नावों का संचालन, डिसिल्टिंग, अस्थायी निर्माण, विशेष उद्देश्य के लिए पानी की निकासी की जा सकेगी। इसलिए विशेष अनुमति लेनी होगी।

 

झालावाड़ जिले को बड़बेला तालाब के बाद तीन और वेटलैंड मिले हैं। कदीला, दहलहनपुर व मूंडलियाखेड़ी तालाब पक्षियों के लिए अनुकूल जगह है, इसलिए इनको वेटलैंड घोषित किया है। पक्षियों को अब यहां पूर्ण संरक्षण व वातारण मिलेगा। वेटलैंड्स का पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान होता है।

-वी. चेतन प्रकाश, उप वन संरक्षक झालावाड़

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