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जोधपुर

बाबा रामदेव के इस मंदिर की सीढिय़ां चढ़ो तो छूटती है धूजणी, 500 साल पुरान है इतिहास

जमीन से 150 फुट ऊंचाई पर अधरशिला  

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वीडियो : राजेश दीक्षित/कंटेंट : नंदकिशोर सारस्वत/सहयोग : जेके भाटी/जोधपुर. लोक देवता बाबा रामदेव के मंदिर तो देश में कई है लेकिन उन सभी मंदिरों में सबसे विस्मयकारी है जोधपुर का अधर शिला बाबा रामदेव मंदिर। नागोरीगेट के अंदर प्रवेश करने के बाद जालोरियों का बास में स्थित एक सीधी की विशाल चट्टान की शिला पर बना मंदिर आस्था व विश्वास की विचित्र अभिव्यक्ति है। मंदिर से मेहरानगढ़ सहित समूचे जोधपुर का विहंगम दृश्य नजर आता हैं।

जमीन से 150 फीट ऊंचाई पर स्थापित मंदिर
जमीन से करीब 150 फीट ऊंचाई पर बाबा रामदेव की पगळियां दशकों पूर्व से स्थापित हैं। पहाड़ी के शिखर पर पहुंचने के लिए मंदिर ट्रस्ट की ओर से चेतावनी के साथ दर्शनार्थियों के लिए इंतजाम किया गया है। मंदिर में एक बार में करीब 10 से 15 लोगों को ही दर्शन की इजाजत है। शिखर पर पहुंचने के बाद अधरशिला के नीचे गुफा में बाबा रामदेव के दर्शन रामा पीर के पगलियों के रूप में होते है। नीचे मंछापूर्ण बालाजी व शिव परिवार पहाड़ी के नीचे पुराना पौराणिक अधरेश्वर बालाजी मंदिर है, जिसमें 9 फीट ऊंची मंछापूर्ण बालाजी की मूर्ति है। मंदिर में शिव परिवार, मां चामुण्डा माताजी की मूर्ति व बाबा रामदेव मंदिर हॉल में गणेशजी, गुरु बालीनाथ महाराज, राधा-कृष्ण भगवान के मंदिर स्थापित है। यह चमत्कारी स्थल है, यहां भादवे में लगने वाले मेले में हजारों की संख्या में देसी-विदेशी श्रद्धालु आते हैं। यहां bhadwa सुदी बीज को ध्वजारोहण के साथ बाबा का मेला शुरू होता है और bhadwa सुदी दशम को दिन में मेला व रात्रि में भजन संध्या आयोजित की जाती है। वही हनुमान जयन्ती, नवरात्रा, शिवरात्रि, गुरु पूर्णिमा, कृष्ण जन्माष्टमी आदि अवसरों पर भी विशेष धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।

मुश्किल है आस्था की डगर

समिति के अध्यक्ष दलपतसिंह गहलोत ने बताया कि करीब 20 वर्ष पूर्व मंदिर तक पहुंचने के लिए प्रशासन की ओर से आरसीसी की सीढिय़ों का निर्माण कार्य शुुरू करवाया गया था लेकिन आधी-अधूरी सीढिय़ां बनाने के बाद निर्माण कार्य बंद कर दिया गया। समिति की ओर से प्रशासन का अवगत कराया गया, लेकिन आज लोहे की सीढिय़ों से यहां पहुंचा जा सकता है। मेले के अवसर पर समिति की ओर से ही व्यवस्था की जाती है। मंदिर की व्यवस्था एवं संचालन समिति में कुल 17 कार्यकारिणी सदस्य है जो मंदिर विकास के लिए समर्पित है।