31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

करौली

सिर्फ नाम का राजकीय महाविद्यालय, बिना पढ़ाई के लौटते विद्यार्थी

करौली- टोडाभीम, करौली जिले के टोडाभीम के (Government College of Todabhim) राजकीय महाविद्यालय में सरकार ने आधुनिक भवन व संसाधन उपलब्ध करा दिए, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षकों (सहायक आचार्य) की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है।

Google source verification

करौली

image

Vinod Sharma

Sep 01, 2019

करौली- टोडाभीम, करौली जिले के टोडाभीम के (Government College of Todabhim) राजकीय महाविद्यालय में सरकार ने आधुनिक भवन व संसाधन उपलब्ध करा दिए, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षकों (सहायक आचार्य) की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है। जिससे अधिकतर कक्षाओं पर ताला ही लटका रहता है। टोडाभीम में वर्ष 2008 में राजकीय महाविद्यालय खोला गया, जिसके लिए करोड़ों रुपए की लागत से भवन का निर्माण कराया। रूसा प्रोजेक्ट के तहत दो करोड़ रुपए मंजूर किए गए है। यह राशि स्टॉफ की सुविधा व पढ़ाई के संसाधनों पर व्यय की जा रही है। लेकिन महाविद्यालय शिक्षकों की सरकार ने व्यवस्था नहीं की है। जिससे संसाधनों का उपयोग भी नहीं हो रहा है। इस का मामला कॉलेज शिक्षा आयुक्त के पास पहुंचने पर भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। महाविद्यालय में आठ शिक्षकों के पद स्वीकृत है, जिनमें से तीन पर ही कार्यरत है। अंग्रेजी, हिन्दी व संस्कृत की पढ़ाई होती है। इनके अलावा भूगोल, राजनीति विज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती है। ३७० छात्र-छात्राओं को इन विषयों की पढ़ाई के अभाव में रोजाना ही निराश लौटना पड़ता है।


ये काम भी प्रभावित
सहायक आचार्यों के अभाव में इग्नू क्लासेज, छात्रवृत्ति, खेल प्रतियोगिता, महाविद्यालय विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं। महाविद्यालय में करोड़ों रुपए की पुस्तक तो है पर पुस्तकालयध्यक्ष नहीं है। जिससे पुस्तकालय भी नाम का साबित हो रहा है। छात्र-छात्राओं को समय पर किताबों का आवंटन नहीं हुआ है। बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। सहायक कर्मचारी व चौकीदारों के पद भी खाली है।


परिवहन के साधनों का अभाव
टोडाभीम का महाविद्यालय कस्बे से सात किलोमीटर दूर जंगल में स्थित है, उक्त मार्ग पर परिवहन के साधनों का अभाव है। महावद्यिालय में ७० प्रतिशत से अधिक छात्राएं है। जिन्हें पढ़ाई के लिए महाविद्यालय आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्राओं ने बताया कि पहले इस मार्ग पर ग्रामीण परिवहन की बस चलती थी, जिससे उन्हें परिवहन की सुविधा मिली। अब ग्रामीण परिवहन की सेवा बंद होने से आने-जाने में दिक्कत आ रही है।