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हिण्डौनसिटी. भीषण गर्मी के दौर में अब रोडवेज की बसें भी हांफने लगी हैं। परवाप चढ़े तापमान में तवे से तपती सडक़ों पर दौड़ती बसें गरमाकर रास्ते में ही थम रही हैं। ऐसे में बीच राह में बेबस हुए यात्रियों को दूसरी बसों से गंतव्य का सफर तय करना पड़ रहा है। जिले की हिण्डौन व करौली डिपो में हर रोज 3-4 बसों के गर्मी से हांफ कर पहिए थम रहे हैं। इससे रोडवेज डिपो की कार्यशाला मेें बसों की मरम्मत का काम बढ़ गया है।
दरअसल जिले की हिण्डौन व करौली डिपो के 53 बसों के बेड़े में 39 बसें राजस्थान परिवहन निगम की हैं। जबकि दोनों डिपो में 7-7 बसें अनुबंध की हैं। जिनका रखरखाव संवेदक कम्पनी द्वारा किया जाता है। बीते एक पखबाड़े से तापमान के 45 डिग्री सेल्सियस और इससे अधिक होने से सडक़ पर दौड़ती बसें इंजन के अत्यधिक गर्म होने से ठप हो रही है। इंजन और अन्य उपकरणें के क्षमता से अधिक गरम होने से प्रति दिन कई बसों में रेडिएटर के पानी फेंकने के अलावा डीजल पाइप, प्रेशर पाइप स्टीयरिंग पाइप, ब्रेक पाइप फट रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से बस को मौके पर रोक कर यात्रियों का दूसरी रोडवेज बस में बैठा कर सफर पूरा करना पड़ता है। शनिवार दोपहर करौली से जयपुर जा रही बस का रास्ते में सिकंदरा के पास गर्मी से इंजन का हौज पाइप फट गया। यात्रियों को अन्य बस से रवाना कर खराब बस को दूसरी से खींच कर मरम्मत के लिए हिण्डौन डिपो की कार्यशाला लाया गया। स्थिति यह कि कि बसों का टोटा झेल रही रोडवेज डिपो में हर रोज 3-4 बसें ब्रेक डाउन हो रही है। गौरतलब है कि डिपो में 3 बसें करीब 10 वर्ष पुरानी हैं, जबकि अन्य बसें 4-6 वर्ष पुराने मॉडल की हैं।
कार्यशाला में आधे कर्मचारी, काम दोगुना
यांत्रिक कर्मचारियों का टोटा झेल रही रोडवेज डिपो की कार्यशाला में तापमान के बढऩे के साथ बसों की सघन जांच व मरम्मत का काम बढ़ गया है। जबकि कार्यशाला में 90 स्वीकृत की तुलना में 24 यांत्रिक कर्मी हैं। दो परियों व ट्रेड अनुभाग से एक यूनिट का 1-2 मैकेनिकों के भरोसे संचालन हो रहा है। कार्यशाला में अलवर डिपो की बसों भी आपात मरम्मत व जांच के लिए आती हैं।
खुले में पड़े टायर, नहीं है टीनशेड
गर्मी में सबसे ज्यादा परेशानी रबर के सामान में आ रही हैं। वहीं रोडवेज डिपो की कार्यशाला में पर्याप्त टीन शैड नहीं होने से लाखों रुपए के टायर धूप में पड़े रहते हैं। इससे टायरों की गुणवत्ता घट रही हैं। वहीं यांत्रिकर्मियों को भी खुले में टायर मरम्मत कार्य करना पड़ता है।
तपन से पंक्चर हो रहे टायर
रोडवेज डिपो सूत्रों के अनुसार दोपहर में अधिक तापमान रहने से टायर वस्ट होने व पंक्चर होने के मामले बढ़ें हैं। आस-पास दुकान होने पर मौके पर ही मरम्मत कराई जाती है। लेकिन शहर-गांव से दूर होने पर यात्रियों का दूसरी बस से रवाना करना पड़ता है। प्रति दिन 2-3 बसों में टायर पंक्चर की शिकायत आती है।
इनका कहना है
भीषण गर्मी में बसों में इंजन हीटिंग होने से तकनीकी खामियां आ रही हैं। रबड़ प्लास्टिक के पाइप आदि के फटने की ज्यादा शिकायत आ रही है। कार्यशाला में टीनशैड जल्द लगवाया जाएगा।
भाईराम गुर्जर, प्रबंधक संचालन राजस्थान रोडवेज डिपो, हिण्डौनसिटी
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