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किशनगढ़

Kishangarh – पांचों इन्द्रियों के विषयों का त्याग कर देना ही ब्रह्मचर्य

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस

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मदनगंज-किशनगढ़. पर्युषण पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को शास्त्र सभा में मुनि सुव्रतनाथ पंचायत के अध्यक्ष विनोद पाटनी ने कहा कि मन वचन काय से पांचों इन्द्रियों के विषयों का त्याग कर देना ब्रह्मचर्य है। ब्रह्म आत्मा में रमण करने का नाम ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य की उत्कृष्ट साधना का सुअवसर मात्र मनुष्य के पास है क्योंकि उसके पास बुद्धि है, विवेक है, सोचने की क्षमता है, वह जानता है कि वासना दुख का कारण है। उन्होंने कहा कि कलिकाल में आज व्यक्ति का मन इतना चलायमान हो गया है कि दृष्टि पड़ते ही अंदर की वासनाएं जागृत हो जाती हैं। इसका मुख्य कारण प्राचीन धर्म संस्कारों, नैतिक संस्कारों, मर्यादा आदि का अभाव एवं पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।

भक्तिभाव से किया वासुपूज्य भगवान का पूजन

मदनगंज किशनगढ़. मुनि सुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत के तत्वावधान में आयोजित रूपनगढ़ रोड स्थित मुनि सुव्रतनाथ मंदिर में पयुर्षण पर्व के दसवें एवं अंतिम दिन गुरुवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस के दिन पर प्रात: श्रीजी के अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन किया गया। मंत्री सुभाष बडज़ात्या ने बताया कि सौधर्म इंद्र बनकर श्रीजी के अभिषेक शांतिधारा करने का सौभाग्य विमल कुमार महेंद्र कुमार समर्थ पाटनी परिवार उरसेवा वाले को प्राप्त हुआ। श्रावक-श्रविकाओं ने पंच परमेष्ठी पूजन, 20 तीर्थंकर पूजन, पंच मेरु पूजन, नवदेवता पूजन, नंदीश्वर दीप पूजन, सोलहकारण पूजन, दसलक्षण पूजन, उत्तम ब्रह्मचर्य पूजन, भगवान वासुपूज्य पूजन कर एवं प्रभु का गुणगान किया गया। वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक पर्व पर गुरुवार को 12 वेें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का विशेष पूजन करते हुए निर्वाण मोदक समर्पित किया। अनंत चतुर्दशी महापर्व होने के कारण अधिकांश समाज जनों ने उपवास एवं व्रत किए और अपने प्रतिष्ठान भी बंद रखे। सायंकालीन पंच परमेष्ठी, मुनि सुव्रतनाथ भगवान, महावीर भगवान, पार्श्वनाथ भगवान, आचार्य वर्धमान सागर, पद्मावती माता एवं क्षेत्रपाल बाबा की वीर संगीत मंड़ल की मधुर लहरियों पर नाचते गाते संगीतमय आरती की गई।