कालीचरण
मदनगंज-किशनगढ़.
एशिया की सबसे बड़ी मार्बल एवं ग्रेनाइट मंड़ी इन दिनों आर्थिक मंदी की चपेट में है। कभी राज्य सरकार की वेट वसूली, तो कभी केंद्र सरकार की 18 प्रतिशत जीएसटी ने मार्बल मंडी पर भार बढ़ाया। तो अब बिजली के बिलों के साथ अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज ने उद्यमियों और उद्योग दोनों की कमर तोड़ दी है। इससे ना केवल भारत में मार्बल और ग्रेनाइट कारोबार प्रभावित हुआ है, बल्कि आयात और निर्यात कारोबार भी प्रभावित हुआ।
मार्बल कारोबार पर शुरुआती समय से ही राज्य सरकार की ओर से वेट वसूली लागू की गई। कई सालों से मार्बल कारोबार पर राज्य सरकार ने कर के रूप में वेट वसूली की। इसके बाद केंद्र सरकार ने मार्बल और ग्रेनाइट को लग्जरी आइटम मनाते हुए 1 जुलाई 2017 से 18 प्रतिशत जीएसटी लागू कर दी। किशनगढ़ समेत देशभर की मार्बल एवं ग्रेनाइट से जुड़ी एसोसिएशनों ने इस पर एतराज किया और 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 12 प्रतिशत किए जाने की मांग की गई। लेकिन केंद्र सरकार ने अपना निर्णय नहीं बदला और वर्तमान समय तक मार्बल और ग्रेनाइट पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूली जा रही है। जीएसटी की 18 प्रतिशत दरों के कारण मार्बल मंडी पर आर्थिक भार में बढ़ोत्तरी हुई।
फ्यूल सरचार्ज ने तोड़ी कमरविद्युत वितरण निगम ने 45 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज वसूली अप्रेल 2022 से लागू कर दी और मई 2023 से वसूली शुरू कर दी गई। इस फ्यूल सरचार्ज के साथ बिजली के बिलों का भुगतान करना उद्यमियों के किसी किसी चुनौती से कम साबित नहीं हो रहा है। मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्यमियों ने सरकार से इस अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज की वसूली को बंद करने का आग्रह किया। लेकिन राज्य सरकार ने एक नहीं सुनी और वर्तमान में बिजली के बिलों के साथ अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज वसूली की जा रही है। उद्यमियों की मानें तो प्रति यूनिट पर तकरीबन एक लाख का अतिरिक्त खर्च भार बढ़ गया है।
मार्बल व ग्रेनाइट कारोबार हुआ प्रभावितवर्तमान में मार्बल मंडी में औसतन प्रतिदिन 300 गाडिय़ा डिस्पेच की जा रही है। उद्यमियों के आंकड़ों के अनुसार प्रति गाड़ी की कीमत 4 से 5 लाख आंकी गई है और इसके अनुरूप मार्बल मंडी में मार्बल एवं ग्रेनाइट का 14 से 15 करोड़ का प्रतिदिन का कारोबार है।
इम्पोर्ट कारोबारइटली, टर्की, वियतनाम, पुर्तगाल, स्पेन से इम्र्पोटेंट मार्बल भारत (किशनगढ़) आयात किया जाता है। इस इम्र्पोटेंट मार्बल का सालाना 6 लाख टन आयात किया जा रहा है। औसतन 60 गाडिय़ां प्रतिदिन की यानि की आयात की जा रही है और एक गाड़ी की कीमत औसतन 10 लाख की आती है। इसके अनुसार 6 करोड़ प्रतिदिन का कारोबार यहां इम्र्पोटेंट मार्बल का है।
एक्सपोर्ट कारोबारकिशनगढ़ मार्बल ग्रेनाइट मंडी से यूएसए, वियतनाम, इजिक्ट, दुबई इत्यादि जगह वाइट मार्बल एवं ग्रीन सावर मार्बल समेत अन्य कई वैरायटी के मार्बल का निर्यात भी किया जा रहा है। निर्यात की जाने वाले मार्बल की औसतन कीमत 5 लाख रुपए प्रति गाड़ी आंकी गई है। इसके अनुरूप 20 से 25 गाडिय़ां प्रतिदिन निर्यात की जा रही है और इस निर्यात कारोबार से प्रतिदिन औसतन 1 करोड़ का कारोबार किया जा रहा है।
मार्बल मंडी फैक्ट फाइल-श्रमिकोंं की संख्या : 50 हजार
-ट्रेडर्स की संख्या : 3 हजार-बड़े उद्यमी : 1100
-कुल यूनिट : 1100 -मार्बल (गैंगसा) यूनिट : 259-ग्रेनाइट (कटर) यूनिट : 496
-मार्बल एवं ग्रेनाइट संयुक्त (गैंगसा/कटर) यूनिट : 72-अन्य यूनिट : 300
इनका कहना है…केंद्र सकार के 18 प्रतिशत जीएसटी एवं राज्य सरकार के अतिरिक्त फ्यूल सरचार्ज वसूली से उद्योग और उद्यमी दोनों पर आर्थिक भार बढ़ा है। यह दोनों ही निर्णय वापस लिए जाने की जरुरत है। ताकि उद्योग और उद्यमी दोनों को राहत और गति मिले।
-सुधीर जैन, अध्यक्ष, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन।