शहर से लेकर गांवों तक अब सर्प को बचाने की मुहिम छेड़ी जाएगी। सर्पदंश की घटनाएं होने के बाद लोग अक्सर सर्प को मारकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाते हैं ताकि सांप को देखकर चिकित्सक उसी अनुसार इलाज कर सके। सर्प को बचाने के लिए प्रोफेसर विनोद मोहबिया सर्प एवं मानव कल्याण संस्थान आगे आया है। संस्थान की ओर से लोगों को सर्प को नहीं मारने के लिए जागरूक किया जाएगा।
हर साल 4 से 5 हजार केस सर्पदंश के
राजस्थान में हर साल करीब 4 से 5 हजार केस सर्पदंश के सामने आते है। हाड़ौती में यह आंकड़ा डेढ़ हजार का है। अधिकतर मामलों में लोग सर्प को मारकर अस्पताल पहुंचते है, जबकि चिकित्सक कभी भी सर्प को मारकर लाने की बात नहीं कहते हैं। डॉक्टर्स सर्पदंश से पीड़ित को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की बात कहते है, ताकि झाड़फूंक में समय गंवाए बिना ही मरीजों को समय पर इलाज मिल सके। सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को 2 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचने पर जिंदगी बचाने का चांस बढ़ जाते हैं।
सांपों को बचाना जरूरी
प्रकृति व पर्यावरण के लिए सर्प को बचाना जरूरी है। लोग सर्प को मारकर डॉक्टर के पास पहुंच जाते है। जबकि उन्हें सर्प का फोटो खींचकर लाने पर भी मरीज का इलाज हो सकता है। सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक करेंगे। वाइल्ड लाइफ प्रोडेक्शन एक्ट के तहत सर्प को मारना गैरकानूनी है। सर्प दिखाए दे तो उसे छेड़ें नहीं, वह अपने आप रास्ता बनाकर निकल जाता है।
विनीत महोबिया, सर्प के जानकार