कोटा. जिले के कुंदनपुर क्षेत्र में पुराने जल स्त्रोतों में बावडिया अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती थी। जहां वर्षों पूर्व पनघट लगी रहती थी वहां अब कचरे के ढेर लगे है। इन बावडियों में से कुछ को तो जनप्रतिनिधियों ने चमका दिया लेकिन कई बावडियां अभी भी उपेक्षा की शिकार हैं। कुछ माह पूर्व ऐसी ही प्राचीन बावडियों का जीर्णोद्धार करने के लिए विधायक भरत सिंह ने बीड़ा उठाया। ग्राम पंचायत मण्डाप के अंतर्गत थेहरोली में गांव के बीच एक प्राचीन बावड़ी दुर्दशा का शिकार थी, जिसका विधायक कोष से दस लाख रुपए स्वीकृत कर उसका जीर्णोद्धार किया। आज उस बावड़ी से पानी तो नहीं पी सकते, परन्तु लोगों के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था हो गई है। यहां चारों तरफ दीवार तथा ऊपर टीन शेड लगा दिया। वहीं लोगों के बैठने के लिए पट्टियां भी लगा दी। कोई मवेशी नुकसान नहीं पहुंचाएं, इसके लिए गेट भी लगवा दिए तथा जगह को कबीर सत्संग का नाम दे दिया। वही दूसरी ओर मण्डिता में गांव बाहर ऐसी ही बावडी है जो अभी तक उपेक्षा का शिकार बनी हुई है। बावडी के जगह-जगह घास-फूस उगा है, और यह अनदेखी के अभाव में वीरान से पड़ी है। यदि इसका भी जीर्णोद्धार हो तो यह प्राचीन जलस्त्रोत बन सकता है।
जुटाते थे पेयजल
मण्डिता व थेहरोली के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि पूर्व में ग्रामीण इन कुएं व बावड़ियों से ही पेयजल जुटाते थे। परन्तु इनकी जगह नलकूप ने ले ली। इसके चलते अब इनकी कोई सुध नही लेता।