कोटा. सूबे के युवाओं को ‘राजनीति की पाठशालाÓ में गठजोड़ और जुगाड़ का सियासी सबक मुफ्त में सीखने को मिलेगा। आम युवा प्रक्रियागत मुश्किलों के चलते जब युवा संसद के लिए आवेदन नहीं कर सके तो जिला स्तर पर तैनात किए गए समन्वयकों ने शिक्षण संस्थाओं से जुगाड़ लगाकर आवेदक जुटा लिए। जिनके बीच से चुने गए टॉप- 3 युवाओं को अब प्रदेश स्तरीय युवा संसद में शामिल होने के लिए भेजा जाएगा।
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केंद्रीय खेल मामलों एवं युवा मंत्रालय ने देश भर में त्रिस्तरीय युवा संसद के आयोजन की व्यवस्था की है। जिला स्तर पर 18 से 25 वर्ष के युवाओं को ऑनलाइन या ऑफलाइन (वॉकइन) पंजीकरण कराना था। पंजीकृत युवाओं की वाक दक्षता, विषय वस्तु के ज्ञान और विचारों की स्पष्टता के पैमाने पर परख कर जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी को दोनों ही मोड में 50-50 युवाओं चुनने थे। 24 से 27 जनवरी के बीच प्राथमिक स्तर पर जिला युवा संसद का आयोजन कर चुने गए 100 युवाओं के बीच प्रतिस्पर्धा आयोजित की जानी है। जिसमें सर्वधिक अंक लाने तीन युवाओं को दूसरे स्तर पर आयोजित राज्य युवा संसद में शामिल होने का मौका मिलेगा।
पंजीकरण का अकाल
ऑनलाइन पंजीकरण के लिए नव राष्ट्र गठन पर अपना 90 से 120 सेकंड का वीडियो तैयार कर उसे 17 से 18 जनवरी के बीच यूट्यूब पर अपलोड करना था। साथ ही पोर्टल माई गवर्नमेंट पर भी रजिस्ट्रेशन कराना था। जिसमें शैक्षिक दस्तावेजों के साथ-साथ वीडियो का यूट्यूब लिंक भी अपलोड करना था। इस लंबी प्रक्रिया के चलते हाड़ौती में बारां और बूंदी से एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। पूरे प्रदेश से सिर्फ 197 युवा ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सके। यहीं नहीं, रजिस्टे्रशन कम होने पर अंतिम तिथि दो दिन बढ़ाई गई।
ऐसे बचाई नाक
ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन में पर्याप्त आवेदन नहीं मिलने पर जिला समन्वयकों को 12 से 18 जनवरी तक ज्यादा से ज्यादा ऑफलाइन पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए। इसके लिए युवाओं को नोडल सेंटर पर आकर स्क्रीनिंग कमेटी के आगे 100 अंकों का प्रजेंटेशन देना था। जिला समन्वयकों ने नाक बचाने के लिए शिक्षण संस्थानों से बातचीत कर जैसे-तैसे छात्रों का पंजीकरण कराया। झालावाड़ में ऑफलाइन मोड में 35 पंजीकरण हुए, जिनमें से 20 राजकीय महाविद्यालय के छात्र थे। कोटा में 60 रजिस्ट्रेशन हुए, जिसमें 20 कृषि विवि और 15 अन्य कॉलेजों के छात्र हैं।
स्क्रीनिंग बनी मजाक
‘जुगाड़Ó के पंजीकरणों का खमियाजा यह हुआ कि जिला युवा संसद की पूरी चयन प्रक्रिया ही ध्वस्त हो गई। तय संख्या से ज्यादा प्रतिभागी नहीं मिले तो लगभग सभी को मौका देना पड़ा। ऐसे में प्रखर और दूरदृष्टा वक्ता चुनने की सरकार की मंशा धरी रह गई।
सुधार की बजाय बनाए बहाने
& युवा अभी इतने एडवांस नहीं हुए हैं कि वेबसाइट पर वीडियो अपलोड कर पाएं। इसलिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कम हुए। इसके साथ ही प्रदेश में परीक्षाएं भी चल रही हैं, जिसके चलते वॉक इन प्रजेंटेशन (ऑफलाइन) के लिए भी कम ही युवाओं ने पंजीकरण कराया।
गिरधर उपाध्याय, राज्य प्रभारी, युवा संसद एवं रीजनल डायरेक्टर एनएसएस