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अक्षय तृतीया नजदीक आने के साथ बाजारों में बढ़ी भीड़…VIDEO

नागौर. अक्षय तृतीया पर शादियां खूब होगी। अक्षय तृतीया का दिन नजदीक आने के साथ ही बाजार में खासी चहल-पहल होने लगी है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में विवाह होंगे। बाजारों में वाहनों, ज्वेलर्स, कपड़ों एवं इलेक्ट्रानिक उत्पादों के खरीदने की होड़ लगने लगी है। गर्मी के चढ़ते पारे 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान के […]

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नागौर. अक्षय तृतीया पर शादियां खूब होगी। अक्षय तृतीया का दिन नजदीक आने के साथ ही बाजार में खासी चहल-पहल होने लगी है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में विवाह होंगे। बाजारों में वाहनों, ज्वेलर्स, कपड़ों एवं इलेक्ट्रानिक उत्पादों के खरीदने की होड़ लगने लगी है। गर्मी के चढ़ते पारे 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच बाजार का तापमान भी बुधवार को चढ़ा नजर आया। शहर के गांधी चौक, तिगरी बाजार, तहसील चौक, सदर बाजार में खरीदारों की धूम रही। ग्राहकों को लुभाने के लिए अक्षय तृतीय पर ज्वेलर्स ने मां लक्षी सहित विभिन्न देवी-देवताओं की उत्कीर्ण सोने एवं चांदी के विभिन्न आकारों में ढाले आभूषण आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। सदर बाजार में ज्वेलर्स मनीष सुराणा का कहना कि सोने के भावों में तेजी आने के बाद भी ज्वेलर्स की खरीद हो रही है। दुकानदार अनिल ने बताया कि बाजार में हालांंकि कारोबार चांदी का भी बेहतर रहा, मगर सोने के आभूषण लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं। कपड़ों की दुकानों पर विभिन्न प्रकार के परिधानों में नए कलेवर के राजस्थानी संस्कृति के रंग में रंगे घांघरा, सलवार-सूट, एवं चुन्नी में हुई कशीदाकारी काम लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। बरतन एवं कपड़े की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ होने लगी। मोबाइल्स की खरीद भी कम नहीं रही। मोबाइल्स शॉप पर भी लोगों की भीड़ रही। ज्योतिषियों की माने तो मान्यता है कि इस तिथि को उपवास रखने, स्नान दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। यानि व्रती को कभी भी किसी चीज़ का अभाव नहीं होता, उसके भंडार हमेशा भरे रहते हैं। चूंकि इस व्रत का फल कभी कम न होने वाला, न घटने वाला, कभी नष्ट न होने वाला होता है इसलिये इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। मांगलिक कार्यों के लिये इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। एक और जहां मांगलिक कार्यों को करने के लिये अक्षर शुभ घड़ी व शुभ मुहूर्त जानने के लिये पंडित जी से सलाह लेनी पड़ती है वहीं अक्षय तृतीया एक ऐसी सर्वसिद्धि देने वाली तिथि मानी जाती है जिसमें किसी भी मुहूर्त को दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस तिथि को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है। इस दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है